राक्षसों के संहार को वनवास बए राम: लक्ष्मीरानी
संसूहिरणपुर(पाकुड) प्रखंड के सुंदरपुर हिन्दू धर्मशाला में आयोजित राम कथा में शनिवार
संसू,हिरणपुर(पाकुड): प्रखंड के सुंदरपुर हिन्दू धर्मशाला में आयोजित राम कथा में शनिवार को कथावाचिका लक्ष्मी रानी ने राम-सीता विवाह प्रकरण का सजीव वर्णन किया। कथा प्रारंभ करते हुए कहा कि राजा जनक ने राजा दशरथ को बुलाकर श्रीराम व सीता का विवाह किया। साथ ही, अपनी अन्य पुत्रियों से भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न का विवाह भी करवा दिया। राजा दशरथ अपने पुत्रों व पुत्रवधुओं को साथ लेकर अयोध्या लौट आये। राजा दशरथ श्रीराम का राज्याभिषेक करना चाहते हैं, ये बात जब देवताओं को पता चली तो वे सोचने लगे यदि ऐसा हो गया तो राक्षसों का संहार किस प्रकार होगा। तब उन्होंने माता सरस्वती से कुछ उपाय करने के लिए कहा। सरस्वती ने कैकयी की दासी मंथरा की बुद्धि फेर दी, जिसके कारण उसने कैकयी के मन में राम के प्रति द्वेष भाव भर दिया। कैकयी ने राजा दशरथ से भरत को राज्याभिषेक और राम को 14 साल का वनवास वरदान में मांग लिया।
रघुकुल में परंपरा थी कि वचन देने के बाद उसका पालन करना ही धर्म है। चाहे प्राण ही क्यों न चले जाएं, लेकिन वचन निभाना जरूरी है। राजा दशरथ ने पूर्व में कैकयी को दो वरदान मांगने के लिए कहा था। तब कैकयी ने कहा था कि समय आने पर मैं वरदान मांगूगी। दशरथ ने कैकयी को वचन दिया था किसी भी परिस्थिति में उसके वरदान पूरे किए जाएंगे। राजा के इसी वचन का फायदा उठाकर कैकयी ने श्रीराम को वनवास भेज दिया। इसलिए वचन देते समय इस बात ध्यान रखना चाहिए कि जिसे हम वचन दे रहे हैं कहीं वह इसका गलत फायदा तो नहीं उठा रहा, क्योंकि बाद में पछताने के अलावा हमारे पास कोई ओर रास्ता नहीं बचता। मौके पर सहदेव साहा, परशुराम साहा, दीपक साहा, मिलन रुज, चंदन दत्ता, करण साहा आदि मौजूद थे।