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वनोत्पाद से संवर सकती मजदूरों की जिदगी

पाकुड़ कोरोना काल में रोजगार ठप पड़े हैं। जिले में कोई उद्योग नहीं है कि लोगों को र

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 07:02 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 06:09 AM (IST)
वनोत्पाद से संवर सकती मजदूरों की जिदगी

पाकुड़ : कोरोना काल में रोजगार ठप पड़े हैं। जिले में कोई उद्योग नहीं है कि लोगों को रोजगार मिल सके। ऐसे में वनोत्पाद ही गरीब मजदूरों का सहारा बन सकती है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को सकारात्मक पहल करने की जरूरत है। पहाड़ों पर जड़ी-बूटी की भरमार है। जानकारी के अभाव में लोग जड़ी-बूटी की पहचान नहीं कर पा रहे हैं। पहाड़ों पर निवास करने वाले लोगों को सही तरीके से जागरुक किया जाए तो वनोत्पाद जीने का सहारा बन सकता है। जिले के अमड़ापाड़ा, लिट्टीपाड़ा के घने जंगलों में काफी मात्रा में वनोत्पाद पाए जाते हैं।

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पहाड़िया-आदिवासी समाज के लोग लोकल हाट-बाजारों में कुछेक वनोत्पाद को लेकर आते हैं। परंतु उन्हें उचित कीमत नहीं मिलती है। लिहाजा वनोत्पाद को औने-पौने दाम पर बेच देते हैं। बिचौलिया तत्व वनोत्पाद को खरीदने के लिए दिनभर पहाड़ों पर मंडराते हैं। पहाड़ों पर आसानी से पाए जाने वाली केंदु पत्ता का हाल बुरा है। इस बार केंदु पत्ता का टेंडर नहीं हुआ है। जिस कारण इससे जुड़े लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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जिले के लिट्टीपाड़ा व अमड़ापाड़ा के घने जंगलों में कीमती वनोत्पाद पाए जाते हैं। इसे संवारने की जरूरत है। सरकार व स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि इस वनोत्पाद को बचाया जाए। वनोत्पाद बचेंगे तो पहाड़ों पर निवास करने वाले आदिवासी-पहाड़ियाओं की किस्मत बदल जाएगी।

प्रो. त्रिवेणी प्रसाद भगत, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, पाकुड़

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लिट्टीपाड़ा के जंगलों में काफी संख्या में वनोत्पाद पाए जाते हैं। ऐसे कई वनोत्पाद भी पाए जाते हैं जिससे जड़ी-बुटी बनती है। वनोत्पाद को बढ़ावा देकर आदिवासी-पहाड़ियाओं को रोजगार से जोड़ा जा सकता है। कोरोना काल में वनोत्पाद से ही गरीबों को रोजगार मिल सकता है।

रीतु पांडेय, सचिव, फेस, पाकुड़ -----

सरकारी स्तर से वनोत्पाद को बचाने की जरूरत है। कोरोना काल में बेरोजगारी बढ़ गई है। बेरोजगारी दूर करने के लिए वनोत्पाद को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। वनोत्पाद से पहाड़िया और आदिवासियों की जिदगी संवर सकती है। केंदु पत्ता से संबंधित उद्योग लगाकर सरकार गरीबों को रोजगार मुहैया करा सकती है।

राणा शुक्ला, समाजसेवी, पाकुड़

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जंगलों में केंदु पत्ता के अलावा बरबट्टी, तुलसी, चिरैता, महुआ सहित अन्य कई महत्वपूर्ण वनोत्पाद मौजूद है। उसका सही तरीके से उपयोग नहीं हो पा रहा है। इससे वनोत्पाद बेकार चला रहा है। सरकार व स्थानीय प्रशासन पहल करे तो वनोत्पाद को बढ़ावा देकर रोजगार मुहैया करा सकती है। शिवशंकर दूबे, शिक्षक

डॉप बास्को स्कूल, पाकुड़

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केंदु पत्ता से लोगों को रोजगार मिल सकते हैं। यह लघुवन के अंतर्गत आता है। सरकार और प्रशासन का हमेशा प्रयास रहा है कि वनोत्पाद को बढ़ावा दिया जाए। जंगलों पर रहने वाले लोगों के लिए यह एक बड़ा रोजगार का साधन है। हालांकि केंदु पत्ता का वन निगम के स्तर से टेंडर होता है। टेंडर के हिसाब से केंदु पत्ता को पेड़ों से तोड़ाना है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। वन विभाग भी अपने स्तर से वनोत्पाद को बचाने के लिए पहल करती है। केंदु पत्ता का चोरी-छिपे व्यापार करने पर कार्रवाई का भी प्रावधान है।

डॉ. विनयकांत सिंह, डीएफओ

वन प्रमंडल, पाकुड़

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