झारखंड की नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी और दलाल को 10-10 साल की कैद
human trafficking. कोर्ट ने मानव तस्करी व दुष्कर्म के मामले में दो वर्ष की सुनवाई के बाद दोषी को दस वर्ष की कैद और जुर्माना लगाया है।
जागरण संवाददाता, पानीपत। मानव तस्करी और दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने दो वर्ष की सुनवाई के बाद दोषी को दस वर्ष की कैद और 65 हजार का जुर्माना लगाया है। मामला झारखंड से जुड़ा है। किशोरी को 70 हजार रुपये में खरीदा गया था। इसी केस में दलाल सोनीपत के बखतावरपुर गांव के ईदू को भी 10 साल कैद और 40 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना राशि पीड़ित परिवार को दी जाएगी। पुलिस दो साल बाद भी किशोरी को बहन बताकर बेचने वाले को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। दैनिक जागरण ने इस प्रकरण पर सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित की थीं। तब जाकर प्रशासन जागा और किशोरी को उसके घर भिजवाया गया था।
पति ने तीन माह का गर्भ गिरवाया और बेच दिया था
पीड़ित किशोरी ने बाल कल्याण समिति को बताया था कि उसके तीन भाई और तीन बहन हैं। मैं बहनों में सबसे बड़ी हूं। आदिवासी होने से शादी जल्द कर दी गई। आठ जून, 2014 की बात है, जब मैं 14 वर्ष की थी। मेरी गोंडा क्षेत्र के एक युवक से शादी करा दी। पति ने उसका तीन माह का गर्भ गिरवा दिया। मैं उसे पति मानती थी, इसलिए समझ नहीं पाई कि उसके मन में क्या चल रहा। कुछ माह पहले वह बोला कि हमारा भाई तुम्हें घर में नहीं रखना चाहता। वह बोला कि हम कहीं दूर रहेंगे। मैं महेश्वर के साथ सोनीपत के मुरथल गई। यहां पर एक युवती पहले से थी। कुछ देर बाद सींक का अनिल अपने जीजा के साथ वहां आया। रात को पति भाग गया। मैंने वहां मौजूद युवती से कहा कि तुम मेरे साथ रहो, लेकिन कुछ देर बाद युवती भी भाग गई। अगली सुबह अनिल, उसका जीजा अपनी कार में जबरदस्ती मुझे सींक ले गए। वहां जबरन मेरे साथ दुष्कर्म किया। कुछ कहो तो अनिल कहता था कि मैंने 70 हजार रुपये में तुझे खरीदा है। मेरे साथ मारपीट करते। परिवार के सभी सदस्य मुझ पर निगरानी रखते थे।
पत्नी की तरह रखा, जबरन संबंध भी बनाए
पुलिस ने गिरफ्तार कर आरोपित अनिल कुमार से पूछताछ की तो उसने बताया कि वह खेती करता है। उसके बड़े भाई व बहनों की शादी हो चुकी है। बड़ा भाई पुलिसकर्मी है। अंबाला में परिवार सहित रहता है। मां की मौत हो चुकी है। उसने बुजुर्ग पिता के लिए खाना बनाने व घर का काम करने में परेशानी आ रही थी। बुआ के घर बख्तावरपुर गांव के लौट रहा था। तभी उसकी ट्रेन में किशोरी के पति से शादी के बारे में बात हुई। शादी के लिए उसने 70 हजार रुपये मांगे। उसने किशोरी को पत्नी की तरह रखा और संबंध भी बनाए।
दलाल को पांच हजार कमीशन
पुलिस पूछताछ में दलाल बखतावरपुर के ईदू ने बताया कि उसकी शादी झारखंड के जिला पाकुड़ गांव के तालजारी में हुई थी। उसके तीन बच्चे हैं। मुरथल बस अड्डे पर किशोरी को अनिल के हवाले किया। कमीशन के पांच हजार रुपये उसे मिले।
ऐसे छुड़ाई थी किशोरी
दिल्ली के एनजीओ नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इरैडिकेशन ऑफ बांडेड लेबर (एनसीसीईबीएल) के कन्वीनर निर्मल के दोस्त झारखंड में आदिवासी समाज पर काम कर रहे थे। नवंबर 2016 को निर्मल को उसके दोस्त ने बताया कि साहिबगंज (झारखंड) के एक गांव की 16 वर्षीय नाबालिग को पानीपत के एक गांव में बंधक बना रखा है। दोस्त ने उसके भाई की बात भी कराई। भाई ने बताया कि उसे गांव का नाम नहीं पता है। सिर्फ मोबाइल नंबर की जानकारी है। इसके जरिये पता चला की वह सींक गांव में है। निर्मल ने दिल्ली के ह्यूमन राइट लॉ नेटवर्क से जुड़े एडवोकेट नवीन गौतम, स्थानीय प्रशासन, पुलिस और बाल कल्याण समिति के साथ मिलकर सींक में छापा मारा। ग्रामीणों के चार घंटे के विरोध के बाद किशोरी को अनिल मलिक के घर से मुक्त कराया। किशोरी को सौंधापुर आश्रम में छोड़ा गया। मतलौडा थाना पुलिस ने मानव तस्करी, दुष्कर्म, पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज करके 26 दिसंबर को आरोपित अनिल मलिक को गिरफ्तार किया। इसके बाद पुलिस ने दलाल सोनीपत के बख्तावरपुर के ईदू को भी गिरफ्तार किया।