ईमानदारी से करें प्रपत्रों का मूल्यांकन
पाकुड़ राजकीय मध्य विद्यालय धनुषपूजा में शुक्रवार को ज्ञानसेतु का जिला स्तरीय कार्यशाला हुई
पाकुड़ : राजकीय मध्य विद्यालय धनुषपूजा में शुक्रवार को ज्ञानसेतु का जिला स्तरीय कार्यशाला हुई। इसमें जिला शिक्षा पदाधिकारी सह डीपीओ रजनी देवी ने कहा कि आकलन प्रपत्र जांच करने वाले शिक्षक प्रपत्र पर पूरा हस्ताक्षर करें। बच्चों का आकलन कर सही मापदंड के अनुसार ग्रुप तैयार करें। सभी शिक्षक ईमानदारी पूर्वक आधार रेखीय आकलन का कार्य करें। कहा कि जिले के सभी प्राथमिक व मध्य विद्यालय 15 से 20 अप्रैल तक बच्चों का वेस लाईन आधार रेखीय आकलन तैयार कर लें। आकलन प्रपत्र के माध्यम से बच्चों का अधिगम स्तर पहचान की जाएगी। उसी दक्षता आकलन के अनुसार बच्चों का ग्रुप तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों को ब्रॉज, सिल्वर व गोल्ड मेडल के लिए तैयार करें। इसका आवेदन विद्यालय के प्रधान शिक्षक ई-विद्या वाहिनी के माध्यम से ऑनलाइन करें। यह कार्यक्रम राज्य के सभी विद्यालयों में संवर्द्धन के नाम से चलाया जा रहा है। इसका संचालन ई-विद्या वाहिनी द्वारा किया जाएगा। उन्होंने ज्ञान सेतु कार्यक्रम को सुव्यवस्थित तरीके से चलाने की विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला में बीईईओ रामनरेश राम, एड़ीपीओ जयेंद्र कुमार मिश्रा, उज्जवल कुमार ओझा, मॉनिटरिग टीम के सदस्य दिलीप कुमार राय, शबनम तब्बसुम' एिमलिन सूरीन, ईप्सिता तिर्की, सीआरपी, बीआरपी, प्रशिक्षक आदि उपस्थित थे।
इन बिदुओं पर दी गई जानकारी
-आधार रेखीय आकलन की कॉपी कार्यालय में सुरक्षित रखा जाए।
-एक ऐसा रजिस्टर में दर्ज हो छात्र-छात्राओं का नाम व पूरी जानकारी
-प्रत्येक ग्रुप की अलग-अलग उपस्थिति पंजी भी हो ताकि यह पता चल सके कि आज किस ग्रुप में कितने बच्चे उपस्थित हैं।
-वर्कबुक विद्यालय अवधि में बच्चों को कार्य करने के लिए दें और अवकाश के समय वापस ले लें।
-जितना संभव हो उतना ही वर्क बुक में काम करवाएं।
-प्रतिदिन बच्चों के द्वारा भरे गए वर्क बुक की जांच भी अच्छे ढंग से हो।
-बच्चों को उस पेज में दिए गए निर्देश और उसकी अवधारणा को पहले बेहतर ढंग से समझाएं।
-वर्ग तीन से पांच तक का ज्ञानसेतु प्रतिदिन डेढ़ घंटे ही संचालित होंगे। समय में उसके वर्ग में मुख्य विषय की पढ़ाई होगी।
-जुलाई माह से वर्ग एक से नौ तक का ज्ञान सेतु पूरे दिन संचालित होगी। यह 45 दिनों तक कार्य दिवस के आधार पर पूरी होगी।
-बीच-बीच में बच्चों की जांच भी करते रहें, ताकि यह पता लग सके कि बच्चों का अधिगम स्तर बढ़ रहा है या नहीं।
-इस कार्यक्रम से संबंधित सभी दस्तावेज सुरक्षित रखें और इससे संबंधित पूरी जानकारी भी संकलित कर रखने का प्रयास करें।