जैविक तरीके से खेती को करें किसान
किसानों को फसलों के उत्पादन से लेकर उसे रोग व कीट से बचाने का तरीका बताया गया। धान फसल में कीट एवं रोग तथा उसके रोकथाम के बारे में जानकारी दी गई।
पाकुड़ : संयुक्त कृषि कार्यालय के सभागार में बुधवार को किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिला कृषि पदाधिकारी मुनेंद्र दास, आत्मा के उप परियोजना निदेशक अरविद कुमार राय ने संयुक्त रूप से गोष्ठी का शुभारंभ किया गया। किसानों को फसलों के उत्पादन से लेकर उसे रोग व कीट से बचाने का तरीका बताया गया। धान फसल में कीट एवं रोग तथा उसके रोकथाम के बारे में जानकारी दी गई।
जिला कृषि पदाधिकारी ने किसानों से कहा कि वे खरीफ फसल धान एवं मक्का की खेती पर ध्यान दें। धान की फसल में झुलसा, भूरी चिती एवं एसमट रोग होने की संभावना अधिक रहती है। उक्त फसलों में रस चूसने वाले कीट, पत्ती खाने वाले कीड़े, तना छेदक कीट लगने की काफी संभावना होती है। इससे फसल को बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के कीटनाशक बाजार में उपलब्ध हैं। जीवामृत भी खेती कार्य के लिए वरदान साबित हो सकता है। कृषि वैज्ञानिक ने सरसों की खेती, जीवामृत का उपयोग, चना, मसूर की खेती के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। आत्मा के उप परियोजना निदेशक ने किसानों से अपील की कि जैविक तरीके से खेती करें। जीवामृत भी कृषि कार्य के लिए उपयोगी साबित हो सकती है। इस मौके पर प्रखंड कृषि पदाधिकारी नारद मंडल, कृषि निरीक्षक पंचानन साहू, खालिदा खातून, सुदीप सेन, सहायक तकनीकी प्रबंधक मो. शमीम सहित किसान मित्र उपस्थित थे।