पहाड़ पर चढ़ने में थक गया विकास
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संवाद सूत्र, लिट्टीपाड़ा(पाकुड़): जिला मुख्यालय से 48 किलोमीटर दूर पहाड़ियों व जंगलों के बीच लिट्टीपाड़ा प्रखंड का गोकुलपुर गांव बसा है। यहां विकास के नाम पर कोर्ट काम नहीं हुआ है। यानि पहाड़ पर चढ़ते-चढ़ते विकास थक गया है। यही कारण है कि लिट्टीपाड़ा देश के पिछड़े प्रखंडों की सूची में शामिल है।
बता दें कि गोकुलपुर गांव आदिवासी बहुल है। यहां के लोग तमाम परेशानियों के बीच अपने जीवन की गाड़ी खींच रहे हैं। पक्की सड़क की बात छोड़ दीजिए। इस गांव तक पहुंचने के लिए पगडंडी तक नही हैं। गांव पहुंचने के लिए नुकीले पत्थरों पर दो किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। इस कारण है कि सरकार की विकास योजनाएं गांव तक नहीं पहुंच सकी है।
अबतक नहीं दिखी विकास की किरण
कुंजबोना पंचायत का गोकुलपुर गांव मांझी टोला और चेतान टोला में बंटा हुआ है। कुंजबोना पंचायत से मासपाड़ा तक जंगलों के बीच चार किलोमीटर ग्रेडवन सड़क है। अब इस पर पैदल चलना मुश्किल है। ग्रामीण शिवचरण मुर्मू का कहना है यहां के लोगों की जिदगी काला पानी की सजा की तरह कट रही है। बिजली, पानी, स्वास्थ्य जैसी आवश्यक सुविधाएं नसीब नहीं है। कुछ दिन पूर्व जनता दरबार में सड़क के लिए गुहार लगाइ थी, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।
1800 फीट तार खींचकर गांव में आइ बिजली
ग्रामीण प्रधान मुर्मू ने बताया कि चेतान टोला में बिजली का पोल पहुंचा है, लेकिन मांझी टोला में पिोल नहीं गाड़ा गया। कई बार बीडीओ, मुखिया व बिजली विभाग को आवेदन दिया, लेकिन पहल नहीं की गई। इसके कारण् ग्रामीणों चंदा कर 1800 फीट तार खरीदकर पेड़ में लटका कर गांव में बिजली लाएं हैं।
ग्रामीण बुधन हेंब्रम का कहना है कि गांव में विकास कार्य नहीं होने की वजह से बेरोजगारी बढ़ गई हैं । यहां आंगनबाड़ी केंद्र व विद्यालय नहीं हैं। गांव के बच्चों को मासपाड़ा आंगनबाड़ी केंद्र में जोड़ दिया गया है।
ग्राम प्रधान लखीराम मुर्मू ने बताया कि गांव में कोई बीमार पड़ता है तो उसे खटिया में टांग कर कुंजबोना के झोला छाप चिकित्सक के पास जाना पड़ता है। ग्रामीण धान की खेती व जंगल की लकड़ी से घर चलाते हैं। गांव के राशन डीलर से छह किलोमीटर दूर कुंजबोना में राशन मिलता है।
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बीडीओ से जानकारी प्राप्त कर गांव के लोगों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा। सरकार पहाड़ पर बसे गांव के विकास के लिए कृतसंकल्पित है।
कुलदीप चौधरी, उपायुक्त, पाकुड़