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बासी भोजन से कम विषाक्त नहीं सिस्टम

जागरण टीम पाकुड़/पाकुड़िया पाकुड़िया प्रखंड के रामघाटी गांव के चितांग टोला में विष

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 07:44 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 07:44 PM (IST)
बासी भोजन से कम विषाक्त नहीं सिस्टम
बासी भोजन से कम विषाक्त नहीं सिस्टम

जागरण टीम, पाकुड़/पाकुड़िया : पाकुड़िया प्रखंड के रामघाटी गांव के चितांग टोला में विषाक्त भोजन का सेवन करने से मंगलवार को तीन सगे भाइयों की मौत के मामले विषाक्त सिस्टम भी जिम्मेवार है। आदिवासियों के कल्याण के लिए बने अलग झारखंड में 20 साल बाद भी अगर गरीब आदिवासी के पास राशन कार्ड नहीं है, घर में बिजली नहीं है और किरासन के अभाव में कोई परिवार दिन में भी भोजन बनाकर रात में खाता हो तो ऐसे में विकास का दंभ भरना बेमानी है। मृत बच्चों के पिता बबलू हेम्ब्रम को अगर सरकारी योजनाओं का अब तक लाभ नहीं मिल पाया है तो इसके लिए विषाक्त सरकारी व्यवस्था भी दोषी है।

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इधर एक साथ हुई तीन मौत के बाद गांव में दूसरे दिन बुधवार को सन्नाटा पसरा रहा। गांव का माहौल गमगीन है। पीड़ित स्वजनों के यहां मातमी सन्नाटा है। पीड़ित के घर के आसपास रहने वाले परिवार के यहां चूल्हा तक नहीं जला। महिलाएं घर के बाहर इकट्ठा होकर दुख जाहिर कर रही है। लोगों के आंसू रुक नहीं रहे हैं। पीड़ित परिवार का हाल बिल्कुल खराब है। मृतकों के स्वजन सुरुधानी सोरेन ने बताया कि बबलू हेम्ब्रम गरीब व्यक्ति है। वह किसी तरह से अपने परिवार का भरण-पोषण करता है। दो बच्चे मध्य विद्यालय झरिया और एक चौकीसाल स्कूल में पढ़ता था। घटना के बाद बबलू और उसकी पत्नी पूरी तरह से टूट चुके हैं।

------------- दंपती की हालत में सुधार

विषाक्त भोजन का सेवन करने से बबलू हेम्ब्रम और उनकी पत्नी सुहागिनी सोरेन भी उसी दिन बीमार पड़ गए थे। दोनों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था। काफी देर बाद दोनों को होश आया। इसके बाद चिकित्सक ने बेहतर इलाज के लिए दोनों को मंगलवार की देर शाम सदर अस्पताल भेज दिया। सदर अस्पताल में इलाज के बाद दोनों की स्थिति में काफी सुधार है। दोनों खा-पी रहे हैं, लेकिन सिर पर चिता की लकीर भी देखी जा रही है। तीनों बेटों को खोने का गम सता रही है।

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आदिवासी परंपरा से हुआ अंतिम संस्कार

तीनों सगे भाइयों की मौत के बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया था। पोस्टमार्टम के बाद तीनों शवों को स्वजन को सौंप दिया। स्वजन और ग्रामीणों ने मिलकर बुधवार को आदिवासी परंपरा के अनुसार तीनों का अंतिम संस्कार कर दिया। अंतिम संस्कार के समय स्वजन व ग्रामीणों के आंख से आंसू निकल रहे थे। माहौल गमगीन हो गया था।

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बाक्स में

मानवाधिकार के सदस्य पहुंचे पीड़ित के घर

झारखंड मानवाधिकार जनजागृति कल्याण परिषद के सदस्य बुधवार को रामघाटी गांव के चितांग टोला पहुंच पीड़ित परिवार से मिले। परिषद के राष्ट्रीय महासचिव मुन्ना हेम्ब्रम ने ग्रामीणों से घटना की जानकारी ली। ग्रामीणों ने बताया कि बबलू के पास न तो राशन कार्ड है और नहीं ही बिजली। प्रधानमंत्री आवास भी लाभ नहीं मिला है। मुन्ना ने बताया कि बबलू के घर ढिबरी जलती है, परंतु किरासन नहीं रहने के कारण उनकी पत्नी रात का भी खाना दिन में ही तैयार कर लेती थी। बासी खाना और इमली की चटनी मौत का कारण बना। इस मौके पर राष्ट्रीय संरक्षक मंटु मुर्मू, जिला सचिव गब्रियल मुर्मू, प्रमंडलीय सचिव गब्रियल हेम्ब्रम, हेमंत कुमार हांसदा, ठाकुर दास मरांडी, सुनीराम मरांडी, अब्दुल रहीम अंसारी, विश्वनाथ मुर्मू, मीना हांसदा, तेरेशा टुडू आदि मौजूद थे।


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