समस्याएं बनी हैं शहीद के गांव की पहचान
भंडरा (लोहरदगा) : 1857 की आजादी की लड़ाई में देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले शहीद पांडेय गणपत राय का पैतृक गांव भौंरो आज भी कई समस्याओं से घिरा हुआ है। इन समस्याओं से ही शहीद के गांव की पहचान है।
भंडरा (लोहरदगा) : 1857 की आजादी की लड़ाई में देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले शहीद पांडेय गणपत राय का पैतृक गांव भौंरो आज भी कई समस्याओं से घिरा हुआ है। इन समस्याओं से ही शहीद के गांव की पहचान है। कहने को तो सरकार ने शहीदों के गांवों के विकास के लिए कई योजनाएं चलाने का दावा किया है, पर भौंरो गांव की सच्चाई विकास के नाम पर कुछ और ही बयां करती है। 17 जनवरी को हर साल शहीद के गांव में लगने वाले मेले में वादों की बरसात भी अब तक विकास के सूखे को खत्म नहीं कर पाई है। ऐसे में गांव की हालत ही बता रही है कि सरकार के वादों और घोषणाओं का हाल क्या है। सच जानना हो तो भंडरा प्रखंड के भौंरो गांव में कदम रखिए, यहां पग-पग में सच्चाई के कांटें चुभेंगे। एक बार फिर से 17 जनवरी को नेताओं व जिला प्रशासन का जमावड़ा विकास मेला के नाम पर लगेगा। सभी लोग आश्वासन के पुल भी बांधेंगे, पर पुराने किए गए तालाब सुंदरीकरण, मिनी स्टेडियम, कोल्ड स्टोरेज, भंडरा-भौंरो पथ निर्माण, ¨सचाई की व्यवस्था अब तक धरी की धरी ही रह गई है। इतना ही नहीं गांव में दर्जनों जरूरतमंद व्यक्तियों को राशन कार्ड, प्रधानमंत्री आवास तक नसीब नहीं हो पाया है। कैसे हैं गांव के हालात, क्या है इतिहास
भंडरा (लोहरदगा) : शहीद पांडेय गणपत राय का पैतृक गांव भौंरो आज भी उपेक्षित है। वर्ष 1857 की क्रांति में पांडेय गणपत राय ने अपनी वीरता से अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। उन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया था, लेकिन इस वीर शहीद का पैतृक गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। कहने को तो भौंरो को आदर्श गांव का दर्जा दे दिया गया है, पर शहीद के गांव में शहीद स्मारक स्थल को छोड़ आदर्श प्रस्तुत करने जैसी कोई चीज नहीं है। गांव में पेयजल, सड़क, नाली का घोर अभाव है। गांव में हर वर्ष 17 जनवरी जयंती समारोह और 21 अप्रैल को शहादत दिवस पर यहां कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। घोषणाओं की झड़ी लग जाती है। लेकिन कार्यक्रम की समाप्ति के बाद कोई धरातल पर काम नहीं होता है। पहले तो पांडेय गणपत राय की जयंती को लेकर लोगों में काफी उत्साह होता था, लेकिन जब से झूठे वादे और घोषणाओं का दौर शुरू हुआ, तब से लोगों की रुचि इसमें कम हो गई। इस गांव में इंदर ¨सह नामधारी, दिनेश उरांव, सरयू राय, सीपी ¨सह, सुदर्शन भगत के अलावे कई नेता एवं मंत्री पहुंचे हैं। हर एक ने कुछ न कुछ वादा किया, लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं हुआ। जिला प्रशासन 17 जनवरी को शहीद की जयंती और 21 अप्रैल शहादत दिवस के मौके पर शहीद स्मारक स्थल की साफ-सफाई एवं रंग-रोगन जरूर कराता है। ग्रामीणों के सपने आज भी हैं अधूरे
भंडरा (लोहरदगा) : शहीद पांडेय गणपत राय के पैतृक गांव में 17 जनवरी को शहीद के नाम से फिर से एकबार विकास मेला का आयोजन किया जाएगा। इस विकास मेला को लेकर शहीद के गांव के ग्रामीणों में कतई भी उत्सुकता नहीं दिख रही है। गांव की धनिया देवी, बांदी उरांव कहती हैं कि गांव की स्थिति को खुद से ही देख लीजिए, ये शहीद का गांव है। जगह-जगह नाली के अभाव में घरों का गंदा पानी सड़क पर बह रहा है। आज तक हम लोगों को राशन कार्ड व प्रधानमंत्री आवास तक नसीब नहीं हुआ। ईश्वर साहू, ललित नारायण उरांव कहते है कि गांव में विकास की कोई भी रुपरेखा नजर नहीं आती है।