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हर्षोल्लास के साथ मना करम का त्योहार

जागरण संवाददाता लोहरदगा लोहरदगा में प्रकृति पर्व करमा का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 08:04 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 08:04 PM (IST)
हर्षोल्लास के साथ मना करम का त्योहार
हर्षोल्लास के साथ मना करम का त्योहार

जागरण संवाददाता, लोहरदगा : लोहरदगा में प्रकृति पर्व करमा का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बहनों ने भाई के लिए व्रत किया। धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन हुआ। परंपरा और संस्कृति का निर्वहन किया गया। शहर से लेकर गांव तक करमा का उल्लास छाया रहा। बालों में जावा खोज कर बहनों ने मांदर की थाप पर पारंपरिक झूमर नृत्य करते हुए प्रकृति की खुशियों को समेटने की कोशिश की। गांव की गलियों से लेकर शहर के चौराहे तक में झारखंड की संस्कृति और सभ्यता की झलक देखने को मिली। करमा के त्योहार को लेकर पिछले कई दिनों से तैयारियां चल रही थी। इन तैयारियों को पूजा अनुष्ठान और सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ चरम पर पहुंचाया। हर और करमा के त्योहार को लेकर एक उत्साह एक ऊर्जा दिखाई दे रही थी। आदिवासी समाज द्वारा गांव के अखड़ा में पारंपरिक नृत्य करते हुए खुशियों को समेटने की कोशिश की गई। भाइयों ने भी अपनी बहनों के लिए उपहार स्वरूप तमाम तैयारियां की थी। अखड़ा को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। मांदर, नगाड़ा और ढोल की आवाज पर हर कोई थिरक रहा था। बहनों ने बालों में जावा खोंश कर पारंपरिक नृत्य करते हुए प्रकृति की पूजा की। भाई की सलामती के लिए प्रार्थनाएं की गई। सब की सुरक्षा, सुख, शांति के लिए पूजा-अनुष्ठान किए गए। पाहन-पुजार ने परंपरागत रूप से अनुष्ठान संपन्न कराए। हर आम और खास व्यक्ति एक ही कतार में, एक ही धुन पर और एक ही वाद्य यंत्र की थाप पर झूमते हुआ नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे प्रकृति स्वयं श्रृंगार करते हुए सभी को जीवन में खुश रहने और दूसरों को भी खुशी देने के लिए आमंत्रित कर रही हो। करमा के त्योहार को लेकर गरीब और अमीर क्या समाज के हर वर्ग में एक समान उत्साह था। धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजन से भक्ति की धारा बह रही थी। परंपरा और संस्कृति की झलक नजर आ रही थी। गांव की गलियों में भी पारंपरिक गीत और संगीत बज रहे थे। अत्याधुनिक वाद्य यंत्रों के साथ बजाए जा रहे नागपुरी और सादरी गीत से भी एक अलग ही उत्साह जनक माहौल बन गया था। करमा के त्योहार को लेकर अधिकारी भी पूरी तरह से मुस्तैद थे। अपनी ड्यूटी करने के साथ-साथ दूसरों दूसरों की खुशी में साझेदार बनने को लेकर भी उत्साहित नजर आ रहे थे। पुलिस के जवान जगह-जगह पर तैनात थे। आदिवासी समाज के जनप्रतिनिधि पूरी तरह से सजग थे। समाज को एक सूत्र में बांधने और प्रकृति की आराधना को लेकर एक जुनून नजर आ रहा था। करमा के त्योहार को लेकर हर कोई उत्साह में नजर आया।

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