झारखंडी संस्कृति में जतरा का विशेष महत्व : बिदेश्वर उरांव
लोहरदगा के भंडरा में जतरा कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
संवाद सूत्र, भंडरा (लोहरदगा) : भंडरा के मसमानो गाजी बगीचा में जतरा समिति मसमानो ठाकुर गांव द्वारा परंपरागत जतरा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें आदिवासी वेशभूषा व पारंपरिक वाद्य यंत्र के साथ क्षेत्र के लोग शामिल हुए। अपनी कला, संस्कृति, ढोल, मांदर, नगाड़ा व क्षेत्रीय जतरा गीत से क्षेत्र को जतरामय बना दिया। जतरा में क्षेत्र के तिगरा लालपुर, टोटो, छापरटोली, तिगरा पहानटोली, मसमानो टांगरटोली, बरवाटोली, नदी टोली सहित अन्य गांव के खोड़हा दल शामिल होकर संस्कृति की झलक प्रस्तुत की। जतरा में शामिल होने वाले लोगों ने जमकर खेल खिलौने व मिठाई की खरीदारी करते हुए एक दूसरे से मिलकर खुशी जाहिर की। परंपरागत जतरा कार्यक्रम में अतिथि के रूप में भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री बिदेश्वर उरांव, सामाजिक कार्यकर्ता अरविद उरांव, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के राष्ट्रीय सचिव सोमे उरांव, सभा के जिला लेखापाल आकाश भगत, विश्व हिदू परिषद के प्रदेश मार्गदर्शक सह मंडल संयोजक स्वामी कृष्ण चैतन्य ब्रह्माचारी सहित अन्य शामिल हुए। मौके पर अतिथियों का पारंपरिक रूप से स्वागत किया गया। जिसके बाद अतिथियों ने सभी खोड़हा दल के लोगों से परिचय प्राप्त कर संस्कृति साझा की। जतरा में शामिल होने वाले सभी खोड़हा दल के अगुवाओं को अतिथियों द्वारा पुरस्कार के रूप में नकद राशि देकर प्रोत्साहित किया गया। मौके पर बिदेश्वर उरांव ने कहा कि झारखंडी संस्कृति में जतरा का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि जतरा के माध्यम से ग्रामीण एक-दूसरे से मेल मिलाप करते हुए नई शादी विवाह का शुभारंभ करते हैं। इसलिए समाज में जतरा का काफी महत्व है। अरविद उरांव ने कहा कि जिस प्रकार एकजुट होकर जतरा कार्यक्रम में शामिल होते हैं। ठीक उसी प्रकार सभी आदिवासी सरना कोड, कालम की मांग के लिए बढ़ चढ़कर आगे आएं। वहीं सोमे उरांव व स्वामी कृष्णचैतन्य ब्रह्मचारी ने सभ्यता संस्कृति के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक रंजीत लाल व विजय यादव ने किया। जतरा कार्यक्रम को सफल बनाने में विनोद उरांव, सुकरा पहान, दुखनू लाल, हरी पहान, तुलसी राम, मिथुन उरांव, चारो पहान सहित अन्य लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।