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सहेज लें 179 तालाब तो बदल जाएगी जल संग्रहण की तस्वीर

राकेश कुमार सिन्हा लोहरदगा पीढ़ी दर पीढ़ी तालाब हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 08:53 PM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 08:53 PM (IST)
सहेज लें 179 तालाब तो बदल जाएगी जल संग्रहण की तस्वीर

राकेश कुमार सिन्हा, लोहरदगा : पीढ़ी दर पीढ़ी तालाब हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं। पौराणिक काल से ही तालाब बनाना सबसे मानवीय और पुण्य का काम समझा जाता था। लोहरदगा जिले में स्थित 179 तालाब को आज भी कोई सहेज ले तो निश्चित रूप से जल संग्रहण की तस्वीर बदल सकता है। सरकारी तालाब का उपयोग आज के समय में मत्स्य पालन तक ही सीमित रह गया है। मत्स्य पालन कार्य से जुड़ी हुई मत्स्य सहयोगी समितियों की भूमिका भी सिर्फ और सिर्फ मत्स्य पालन तक सीमित रह गई है। यहां तक कि तालाब की साफ-सफाई, मिट्टी, गाद, जलकुंभी की साफ-सफाई आदि को लेकर भी सहयोग समितियों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। खानापूर्ति के रूप में स्वच्छता संबंधी प्रमाण-पत्र समर्पित कर दिया जाता है, जबकि इन तालाबों को सहेजा जाए तो निश्चित रूप से जल संग्रहण की तस्वीर बदल जाएगी। एक तालाब आसपास के क्षेत्र में भूगर्भ जल स्तर को बनाए रखने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यही कारण है कि मत्स्य विभाग द्वारा भी लगातार ग्रामीणों से अपील की जाती है कि सरकारी तालाबों का संरक्षण करें। सरकारी तालाब सभी की संपत्ति हैं और इसका लाभ तभी मिल सकता है, जब तालाब बेहतर स्थिति में हों। लोहरदगा जिले में सरकारी तालाबों में मिट्टी भरने और कचरे से तालाबों का वजूद मिटता जा रहा है। हालांकि लोहरदगा ग्राम स्वराज्य संस्थान जैसी संस्थाएं श्रमदान के माध्यम से तालाबों की साफ-सफाई को लेकर संकल्प लिए हुए हैं। बावजूद जागरूकता की कमी अब भी नजर आती है। लोहरदगा जिले में यदि सरकारी तालाबों की बात करें तो यहां पर कुल 179 सरकारी तालाब हैं। जिसमें लोहरदगा जिले के कुडू प्रखंड में 44, सेन्हा प्रखंड में 39, सदर प्रखंड में 38, भंडरा प्रखंड में 22, किस्को प्रखंड में 21, कैरो प्रखंड में 12 और पेशरार प्रखंड में तीन सरकारी तालाब हैं। शहरी क्षेत्र में स्थित तालाबों को मत्स्य विभाग को हस्तांतरित नहीं किया गया है। जिससे इन तालाबों की देखरेख मत्स्य विभाग के माध्यम से नहीं होती है। छोटे सरकारी तालाबों से लेकर बड़े सरकारी तालाब तक के संरक्षण में जब तक आम आदमी की भूमिका सक्रिय नहीं होगी, तब तक परिस्थितियों को बदला नहीं जा सकता है। जिला प्रशासन द्वारा भी मनरेगा सहित अन्य योजनाओं के माध्यम से तालाबों को संरक्षित करने उनकी साफ-सफाई और जीर्णोद्धार को लेकर लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं। उप विकास आयुक्त अखौरी शशांक कुमार सिन्हा कहते हैं कि तालाब बचाना सिर्फ एक तालाब को संरक्षित करना नहीं है, बल्कि हम तालाब को जीवित रखकर बरसात के पानी को संरक्षित करते हुए आने वाली पीढ़ी के लिए जल संकट की समस्या को खत्म कर सकते हैं। प्रशासन और सरकार के माध्यम से संचालित योजनाओं द्वारा ग्रामीणों को तालाबों के संरक्षण और उनके रखरखाव के लिए आगे आना चाहिए। जब तक तालाब हैं, तभी तक जल संग्रहण की तस्वीर नजर आती है। समाज और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी हमें एक जागरूक नागरिक बनाती है।

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