Move to Jagran APP

त्योहार में बढ़ता हुनर का मान, कांपते हाथों को भी काम

राकेश कुमार सिन्हा लोहरदगा त्योहार आते ही इनकी जिदगी में खुशी छा जाती है। त्योहार

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 09:40 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 09:40 PM (IST)
त्योहार में बढ़ता हुनर का मान, कांपते हाथों को भी काम

राकेश कुमार सिन्हा, लोहरदगा : त्योहार आते ही इनकी जिदगी में खुशी छा जाती है। त्योहार सही मायने में इनकी जिदगी में रोशनी भरने का काम करते हैं। उनकी मेहनत को सही दाम मिल पाता है। कुम्हार, मालाकार, सुप-दौरा बनाने वाले लोगों के जीवन में खुशियां छा जाती हैं। हर साल त्योहार पर होने वाली बिक्री के सहारे इनके लिए कई महीनों की रोटी का जुगाड़ होता है। लोहरदगा शहरी क्षेत्र से लेकर प्रखंड मुख्यालय सहित विभिन्न गांवों में त्योहार को लेकर मिट्टी के बर्तन, दीया, कलश सहित अन्य सामग्री बनाने में कुम्हार समाज के लोग जुट गए हैं। इसके अलावे डिमांड को देखते हुए मालाकार फूल माला तैयार करने साज-सज्जा आदि में जुट जाते हैं। जबकि छठ महापर्व को देखते हुए सुप-दौरा बनाने वाले लोगों की मेहनत को भी सही दाम मिलने लगता है। जिले के दो हजार से ज्यादा परिवार मिट्टी के सामग्रियों का निर्माण करते हैं। दुर्गा पूजा, दीपावली व छठ को लेकर कुम्हार दीया, घड़ा, कलश आदि का निर्माण में लगे हुए हैं। हालांकि पहले जैसा अब कुम्हार समाज के लोग मिट्टी के बर्तन आदि बनाने में रुचि नहीं लेते हैं। इलेक्ट्रिक व अन्य लाइट के बाजार में आने के कारण दीया की बिक्री भी पहले की अपेक्षा कम होती है। फिर भी इनके लिए तो यही रोजगार का माध्यम है।

loksabha election banner

---------------

क्या कहते हैं कुम्हार :

कैरो निवासी जोगी महतो बताते हैं कि कलश, चौका, घड़ा आदि सामग्रियों की बिक्री होती है। बाजार में कई प्रकार की लाइट के आ जाने से दीया की बिक्री कम होती है। कुम्हार समाज के लोग अभी भी काफी उत्साहित रहते हैं कि उनके द्वारा निर्मित सामग्रियों का इस्तेमाल पूजा व अनुष्ठान में ही किया जाता है। वहीं लक्ष्मण महतो का कहना है कि दो-तीन महीने अभी मिट्टी से निर्मित सामग्रियों की बिक्री होती है। परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर वे काम करते हैं। जैसे ही दुर्गा पूजा, दीपावली व छठ का त्योहार आता है तो परिवार में उत्साह रहता है।

-------------------

त्योहार में ही मिट्टी से निर्मित सामग्रियों की होती है बिक्री

लोहरदगा : कुम्हार समाज के लोग मिट्टी के बर्तन बनाने में जुट गए हैं। कुम्हार समाज के लोगों में दुर्गा पूजा, दीपावली व छठ को लेकर काफी उत्साहित रहते हैं। कैरो निवासी जीतवाहन महतो का कहना है कि तीनों त्योहारों में सिर्फ मिट्टी के बर्तनों की बिक्री रहती है। बाकी दिनों में खेती-बारी कर जीविका चलाना पड़ता है। हालांकि पहले की अपेक्षा अब मिट्टी के सामग्रियों की बिक्री कम हो गई है। बाजारों में कृत्रिम वस्तुओं के आ जाने से मिट्टी के बर्तनों खासकर दीया की बिक्री काफी प्रभावित हुई है। लोग यदि स्थानीय तौर पर तैयार सामान की खरीद कर उपयोग करें तो उन्हें काफी खुशी होगी।

-----------------

फोटो संख्या- 20

त्योहार के साथ हमारी भावनाएं और उम्मीदें भी जुड़ी होती है। सभी लोगों से यही अपील है कि वह स्थानीय तौर पर तैयार की गई सामग्री का ही उपयोग करें। दीपावली, छठ महापर्व के मौके पर भी हम स्थानीय तौर पर तैयार मिट्टी के सामान, दीया, सूप, दौरा आदि का उपयोग करते हैं, तो हम कई परिवारों को खुशी दे सकते हैं। हमारी एक छोटी सी पहल परंपरा को जिदा रख सकती है।

राजीव रंजन, जिलाध्यक्ष, जय श्रीराम समिति, लोहरदगा। फोटो संख्या- 21

मिट्टी के बने बर्तनों, दीया, कलश आदि का उपयोग ना सिर्फ हमारी परंपरा को जिदा रखता है, बल्कि हम कई परिवारों को खुशी देने का काम भी करते हैं। त्योहार के मौके पर हमारा एक छोटा सा प्रयास परंपरागत कोशिशों को जीवन दे सकता है। हम पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे रोजगार को संजीवनी दे सकते हैं। सभी लोगों से अपील है कि वह स्थानीय तौर पर निर्मित मिट्टी के बर्तन, दीया, कुल्हड़, कलश आदि का उपयोग करें।

प्रेम किशोर प्रजापति, जिलाध्यक्ष, झारखंड कुम्हार प्रजापति महासंघ, लोहरदगा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.