इस गांव में खेतों में होता है अंतिम संस्कार
लोहरदगा जिले के सेन्हा प्रखंड के घाटा गांव के ग्रामीण ख्खेत में दाह संस्कार करते हैं।
गफ्फार अंसारी, सेन्हा (लोहरदगा) : लोहरदगा जिले के सेन्हा प्रखंड के घाटा गांव के ग्रामीण खेतों में शवों का अंतिम संस्कार करते हैं। सुन कर थोड़ा अजीब लगेगा, परंतु यह सच है। गांव का अपना श्मशान घाट सहवा टोली नहीं होने के कारण पीढि़यों से ग्रामीण ऐसा करते आ रहे हैं। ग्रामीणों को भी यह दुख होता है कि उनके गांव का अपना श्मशान घाट नहीं है। ऐसे में वह करें तो क्या करें।
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ग्रामीणों की कौन सुने पीड़ा
सेन्हा प्रखंड के घाटा सहवा टोली के ग्रामीणों का कहना है कि उनकी पीड़ा कौन सुनेगा। श्मशान घाट नहीं होने से पूर्वजों के समय से ही अपने खेत में ही शव का अंतिम संस्कार करते आ रहे हैं। ऐसा इस लिए करते हैं कि अंतिम संस्कार के लिए कोई स्थान चिन्हित नहीं है। किसी ने इसके लिए जमीन दान भी नहीं किया है। कोई दान देता तो ठीक रहता, लेकिन इस पर कोई आगे नहीं आ रहें हैं। खेत-खलिहान में अंतिम संस्कार करने से वह जमीन खेती योग्य नहीं रह जाती है। जिससे परेशानी बढ़ जाती है।
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क्या कहते हैं ग्रामीण
घाटा गांव के बंधन उरांव एवं सुधीर उरांव का कहना है कि जागरूकता की कमी है और पुरानी परंपरा के साथ रह रहे हैं। स्थायी रूप से श्मशान घाट नहीं है। दूसरे गांव के लोगों का श्मशान घाट गांव से दो किलोमीटर दूर है। पूर्वज भी कहते थे कि अपनी जमीन में ही अंतिम संस्कार करना चाहिए। इस लिए ऐसा करते आ रहे हैं। बरसात में काफी दिक्कत होती है तो घाटा ढोढड़ा डीपा में अंतिम संस्कार किया जाता है। वह सरकारी जमीन है।
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क्या कहती हैं मुखिया
मुखिया यशमुनी उरांव का कहना है कि गांव के लोग अपने खेत में शव का अंतिम संस्कार करते हैं। अधिकारी से मिलकर जमीन की मांग की जाएगी। यहां के लोगों की समस्या से अवगत हैं। समस्या के समाधान को लेकर पहल करेंगे।
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क्या कहते हैं अधिकारी
सेन्हा अंचलाधिकारी हरीशचंद्र मुंडा का कहना है कि जमीन बंदोबस्त करने का आदेश अभी नहीं है। आदेश आता है तो विचार किया जाएगा। गांव का ही कोई व्यक्ति इसके लिए सहयोग करे तो बेहतर है। मामले से वरीय अधिकारी को अवगत कराएंगे।