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अधूरी योजनाएं पूरी होती तो बुझती प्यास

लोहरदगा जिले में पानी को लेकर स्थिति बेहद चिताजनक है। पानी पाताल में जा चुका है। नदियां सूख चुकी है। मार्च महीने में ही कोयल और शंख नदी सूख चुकी है। हैंडपंप और सार्वजनिक कुवां का यही हाल है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शहरी जलापूर्ति योजना को बेहतर बनाने को लेकर नगर परिषद द्वारा कोयल और

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 Mar 2019 08:42 PM (IST)Updated: Mon, 01 Apr 2019 06:47 AM (IST)
अधूरी योजनाएं पूरी होती तो बुझती प्यास
अधूरी योजनाएं पूरी होती तो बुझती प्यास

लोहरदगा : लोहरदगा जिले में पानी को लेकर स्थिति बेहद चिताजनक है। पानी पाताल में जा चुका है। नदियां सूख चुकी है। मार्च महीने में ही कोयल और शंख नदी सूख चुकी है। हैंडपंप और सार्वजनिक कुआं का यही हाल है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शहरी जलापूर्ति योजना को बेहतर बनाने को लेकर नगर परिषद द्वारा कोयल और शंख नदी में चार इंटेक वेल का निर्माण करोड़ों रुपए की लागत से कराया जा रहा है। योजना अभी अधूरी है, यदि योजना पूरी भी हो जाए तो इसका लाभ मिलता दिखाई नहीं दे रहा है। शहर के कई क्षेत्रों में जलापूर्ति पाइप तक नहीं है। जिन्हें शहरी जलापूर्ति योजना से वंचित होना पड़ रहा है। करोड़ों खर्च के बाद भी लोग प्यासे रह जाएंगे। अब जरा इसकी वजह को भी जानते हैं। यहां पर भूगर्भ जलस्तर काफी तेजी से नीचे जा रहा है। पिछले 10 साल में 30 फीट पानी नीचे जा चुका है। नदियों का सेंड लेबल 7 से 8 फीट नीचे चला गया है। कुआं जनवरी और फरवरी माह में ही सूख जाते हैं। भूगर्भ जलस्तर के नीचे जाने की वजह से हैंडपंप भी समय से पहले ही धोखा देने लगे हैं। वर्षा जल को संरक्षित नहीं किए जाने और वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम जैसी योजनाओं को लागू नहीं करने की वजह से समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। लोगों को पानी के लिए भटकने की स्थिति है। कुछ लोगों द्वारा नगर परिषद कर्मियों की उदासीनता का लाभ उठाकर धड़ाधड़ बोरिग कर भूगर्भ जलस्तर का दोहन किया जा रहा है। नियमों की धज्जियां उड़ा कर बोरिग का काम चल रहा है। अपनी जेब भरने के चक्कर में भूगर्भ जलस्तर को लूटने में लोग जुटे हुए हैं। इन हालातों से स्पष्ट है कि पेयजल का संकट लोहरदगा में दूर होने वाला नहीं है। यहां पर पेयजल व्यवस्था के लिए कोयल और शंख नदी के साथ-साथ नंदिनी डैम और नंदिनी नदी का सहारा है। कोयल और शंख नदी के तट पर स्थित कई गांव के लोगों को जलापूर्ति योजना की सहायता से पानी मिल पाता है। जितनी तेजी से पानी नीचे जा रहा है, उससे यह साफ है की इन योजनाओं का लाभ बहुत दिनों तक लोगों को नहीं मिलेगा। पानी बचाने की आदत और संकल्प नजर नहीं आई तो पानी बिल्कुल गायब हो जाएगा। सरकारी तंत्र को इस विषय पर सबसे अधिक सजग होने की जरूरत है। नगर परिषद, भवन प्रमंडल जैसे विभागों को किसी योजना या घर के लिए नक्शा पास करते समय उसमें निश्चित रूप से वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम को लागू करना अनिवार्य करना होगा।

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