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ठंड से जम गई ओस की बूंदें, ठिठुरन ने बढ़ाई परेशानी

लोहरदगा में ठंड ने अब सितम ढाना शुरू कर दिया है। ओस की बूंदें बर्फ में तब्दील होने लगी है। लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो चुका है। सरकारी व्यवस्था के तहत गरीब और असहाय लोगों के बीच अब तक कंबल का वितरण सुनिश्चित नहीं हो सका है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Dec 2018 08:42 PM (IST)Updated: Sun, 23 Dec 2018 08:42 PM (IST)
ठंड से जम गई ओस की बूंदें, ठिठुरन ने बढ़ाई परेशानी
ठंड से जम गई ओस की बूंदें, ठिठुरन ने बढ़ाई परेशानी

लोहरदगा : लोहरदगा में ठंड ने अब सितम ढाना शुरू कर दिया है। ओस की बूंदें बर्फ में तब्दील होने लगी है। लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो चुका है। सरकारी व्यवस्था के तहत गरीब और असहाय लोगों के बीच अब तक कंबल का वितरण सुनिश्चित नहीं हो सका है। गरीबों का बुरा हाल है। लोग ठंड की वजह से ठिठुरने को विवश हैं। जहां-तहां अलाव के आसपास जमी भीड़ ठंड के कहर और इसके प्रभाव को दर्शाने के लिए काफी है। शहर से लेकर गांव तक कनकनी और शीत लहरी ने लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है। ठंड की वजह से सर्दी, खांसी, बुखार के मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हो गई है। लोग लगातार चिकित्सक के पास इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में तो जैसे शाम होते ही क‌र्फ्यू लग जा रहा है। लोग घर में सिमट में को विवश है। शहरी इलाके में बाजार व्यवस्था पर ठंड का प्रतिकूल प्रभाव नजर आ रहा है। बाजार में ग्राहकों की भीड़ कम ही दिखाई दे रही है। व्यापारी ग्राहकों का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं। शहरी क्षेत्र में सड़क पर रात गुजारने वाले, ठेला दुकान लगाने वालों के लिए तो जैसे मंदी का दौर शुरू हो चुका है। ठंड के कारण छोटे बच्चों और वृद्ध लोगों का काफी बुरा हाल है। रविवार को जिले का न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। जबकि अधिकतम तापमान 20.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। आने वाले दिनों में तापमान में और भी गिरावट होने की उम्मीद है। दिनभर सर्द हवाएं चलने की वजह से लोग गर्म कपड़ों में घूमने को विवश है। दिसंबर माह के पहले पखवाड़े तक लोगों को सर्दी का एहसास भी नहीं था। जैसे ही दूसरा पखवारा पार हुआ तो लोगों के लिए सर्दी ने कहर ढाना शुरू कर दिया। सरकारी स्तर के साथ साथ सामाजिक स्तर पर भी ठंड से लोगों को राहत देने की दिशा में व्यापक पहल दिखाई नहीं दे रही है।

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