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बचेगा बरसात का पानी, तभी बचेगी जिदगी

बरसात का पानी ही जीवन को बचा सकता है। इसके लिए जनजागरूकता बेहद जरूरी है। लोहरदगा में बरसात का पानी बचाने को लेकर लोगों में कोई जागरूकता नजर नहीं आती है। यहां बनाए जा रहे सरकारी भवनों में कहीं भी वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लागू नहीं किया गया है। ऐसे में भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने या बनाए रखने को लेकर

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Apr 2019 08:19 PM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2019 06:37 AM (IST)
बचेगा बरसात का पानी, तभी बचेगी जिदगी
बचेगा बरसात का पानी, तभी बचेगी जिदगी

लोहरदगा : बरसात का पानी ही जीवन को बचा सकता है। इसके लिए जनजागरूकता बेहद जरूरी है। लोहरदगा में बरसात का पानी बचाने को लेकर लोगों में कोई जागरूकता नजर नहीं आती है। यहां बनाए जा रहे सरकारी भवनों में कहीं भी वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लागू नहीं किया गया है। ऐसे में भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने या बनाए रखने को लेकर सरकारी तंत्र के अधिकारी उदासीन नजर आते हैं। भूगर्भ जल स्तर की गिरती स्थिति को लेकर न्यायालय और सरकार के स्तर से समस्या की गंभीरता को देखते हुए सभी सरकारी भवनों और निजी भवनों में इसे लागू करने का निर्देश दिए जाने के बाद भी धरातल में कोई संकल्प नजर नहीं आता है। ऐसे में समस्या तो बढ़ेगी ही। जबकि साफ है कि रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम को लागू करने से भू-गर्भ जल स्तर बढ़ेगा। भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम को लागू करने में सरकारी तंत्र उदासीन नजर आता है। कागजों में या कहें कि भवनों के नक्शे में भले ही इसे जरूरी कर दिया गया है, परंतु भवन बनाते समय आम आदमी की बात कौन करे, सरकारी तंत्र भी इसे भूल जाता है। इसका सीधा सा उदाहरण यह है कि जिले के किसी भी सरकारी भवन में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम नहीं है। लोगों को आने वाले समय में पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा। जब पानी बचेगा ही नहीं तो पानी मिलेगा कैसे। लोग पानी बचाने और वर्षा जल को संरक्षित करने को लेकर रूचि नहीं दिखाते हैं। नगर परिषद तक इस मामले में गंभीर नहीं है। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी सुधीर कुजूर कहते हैं कि इसे सख्ती से लागू किया जाएगा। नगर परिषद मामले को लेकर गंभीर है। नए पास किए गए नक्शे में इसे गंभीरता में लागू किया जा रहा है। इसे लागू नहीं करने वालों से कड़ाई से निपटा जाएगा।

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