बनना था बीडीओ-डीएसपी, बन गए नक्सलियों के सप्लायर Lohardagga News
Naxalite. बीडीओ और डीएसपी बनने की तमन्ना रखने वाले सेरेंगदाग थाना क्षेत्र के चपाल गांव निवासी प्रताप भगत के बारे में जान कर एक बार तो पुलिस के भी होश उड़ गए।
लोहरदगा। तमन्ना आसमान छूने की और हरकतें अपराध की, बनना था देश के विकास में सहभागी और सुरक्षा अधिकारी, बन गए नक्सलियों के सप्लायर। लोहरदगा में सोमवार को पुलिस ने जिन तीन नक्सली समर्थक या हथियार-कारतूस सप्लायर को गिरफ्तार किया, उनकी यही कहानी है। बीडीओ और डीएसपी बनने की तमन्ना रखने वाले सेरेंगदाग थाना क्षेत्र के चपाल गांव निवासी प्रताप भगत के बारे में जान कर एक बार तो पुलिस के भी होश उड़ गए।
शिक्षित और सभ्य समाज के साथ रह कर अपने बुलंद इरादों से सपनों को पाने की तमन्ना रखने वाले प्रताप की असलियत ने चौंका दिया था। प्रताप ने रांची के एक बड़े कॉलेज से पढ़ाई की है। वह अपनी बहन के साथ किस्को मोड़ में रहकर जेपीएससी की तैयारी करता था। इसके अलावा प्रताप नक्सलियों के लिए हथियार-कारतूस पहुंचाने के अलावा लेवी वसूल करने का काम भी करता था।
दूसरे गिरफ्तार नक्सली समर्थक आकाश के बारे में भी जान कर आश्चर्य होता है। सेरेंगदाग थाना क्षेत्र के गुनी गांव का रहने वाला अशोक एमएम उवि के समीप घर बना कर रहता था। अशोक ने जवाहर नवोदय विद्यालय जोगना से पढ़ाई की है। वह भी जीवन में कुछ करना चाहता था। अशोक की मां महिला स्वयं सहायता समूह में गुनी गांव में सक्रिय सदस्य है। साथ ही, वह एएचजी समूह के माध्यम से चलने वाले जनवितरण प्रणाली की दुकान का संचालन भी करती है। एसपी प्रियदर्शी आलोक ने बताया कि अशोक की मां राशन दुकान का खाद्यान नक्सलियों को उपलब्ध कराती थी। इसका अर्थ स्पष्ट है कि नक्सली सरकार की खा कर सरकार को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं।
तीसरा गिरफ्तार नक्सली समर्थक शकील ईंट भट्ठा भी चलाता था। जुरिया गांव का रहने वाला शकील अंसारी आर्म्स एक्ट के मामले में कोर्ट से सजा होने के बाद फिलहाल उच्च न्यायालय में अपील किए हुए है। वह फिलहाल जमानत पर था। इस दौरान वह नक्सली गतिविधियों में शामिल था। तीनों पैसे के लालच में नक्सलियों से जुड़े हुए थे। पुलिस ने तीनों से कई राज उगलवाए हैं। इस मामले में कई सफेदपोशों की संलिप्तता भी सामने आई है।
मात्र दस का है रवींद्र का दस्ता
भाकपा माओवादी रवींद्र गंझू का दस्ता फिलहाल मात्र इस लोगों का है। इन सभी पर एक लाख से लेकर 15 लाख रूपए का ईनाम घोषित है। पुलिस की उन पर पूरी नजर है। विगत मार्च में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में भी अशोक की संलिप्तता सामने आई है। अशोक ने नक्सलियों को संरक्षण देने का काम किया था। वह इस मामले में नामजद अभियुक्त भी है। पुलिस जल्द ही नक्सलियों को पकड़ लेगी, या फिर नक्सलियों का आत्मसमर्पण करा देगी।