टमाटर खोल सकता है प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के द्वार
लातेहार जिले के बालूमाथ एवं बारियातू समेत आसपास के गांवों को ।
उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार : लातेहार जिले के बालूमाथ एवं बारियातू समेत आसपास के गांवों को एक बड़े टमाटर उत्पादक क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। टमाटर की खेती ने इस क्षेत्र के किसानों को न सिर्फ पूरे राज्य में नई पहचान दिलाई है, बल्कि इसी खेती से सलाना लाखों रुपये की कमाई भी होती है। वैश्विक माहामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का आगमन वापस अपने गांवों में हो रहा है। ऐसे में उनके लिए स्थानीय स्तर पर ही रोजगार के साधनों की समस्या गहरा रही है। इस समस्या का समाधान बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती से हो सकता है।
प्रवासी मजदूरों को ऐसे दे सकते हैं लाभ :
टमाटर की खेती के लिए शासन और प्रशासन को एक साथ मिलकर गांवों के स्तर पर प्रवासी मजदूरों को टमाटर की खेती के लिए प्रेरित करना होगा। बालूमाथ और बारियातू प्रखंड के टमाटर उत्पादकों और उनकी सफलता के बारे में बताकर खेती के लिए तैयार करना होगा। इसके साथ ही टमाटर की अधिक उपज के बाद फसल बेचने के लिए स्थानीय स्तर पर ही बाजार मुहैया कराना होगा। ताकि किसानों को मुनाफे की राशि प्राप्त होती रहे और वे इसे रोजगार मानकर आगे बढ़ते रहें।
32 वर्षों पूर्व शुरू हुई भारी पैमाने पर खेती :
स्थानीय स्तर पर अनुकूल जलवायु और मिट्टी के कारण बालूमाथ एवं बारियातू के गांवों में वर्ष 1988 से वृहत पैमाने पर टमाटर की खेती शुरू हुई। इलाके में इस खेती को बढ़ावा देने के लिए टमाटर बीज और कीटनाशक बनाने वाली कई कंपनियों ने इस ओर रुख किया। तब किसानों में खेती के प्रति जिज्ञासा देखकर कुछ कंपनियों ने किसानों को अन्य शहरों में टमाटर की खेती को प्रशिक्षण के लिए भेजा। तब इलाके में कई और किसानों ने टमाटर की खेती करनी शुरू कर दी और यही से किसानों की किस्मत पलटनी शुरू हो गई। धीरे-धीरे लगभग सभी किसान टमाटर की खेती से जुड़ गए और पांच महीने के सीजन में टमाटर की खेती के मामले में इस क्षेत्र की झारखंड राज्य भर में एक विशिष्ट पहचान है।
20 गांवों के लोगों को मिलता है रोजगार :लातेहार जिले के बालूमाथ व बारियातू समेत आसपास के लगभग 20 गांवों में निवास करने वाले लोगों को रोजगार भी मिलता है। जब गांवों में फसल पक कर बेचने के लिए तैयार होती है, तब मुनाफा की राशि देखकर स्थानीय लोगों को लगता है कि वे यहां टमाटर की खेती से ही अच्छी मजदूरी जुटा लेते हैं।