जिलों में स्नेक रेस्क्यूर्स नहीं, बड़ी संख्या में मारे जाते हैं सांप
उत्कर्ष पाण्डेय लातेहार झारखंड में सर्पदंश की घटनाएं तो आम है लेकिन खेती-किसानी के म
उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार : झारखंड में सर्पदंश की घटनाएं तो आम है लेकिन खेती-किसानी के मौसम इसका खतरा और बढ़ जाता है। सामान्यत: जून से लेकर सितंबर तक सर्पदंश की घटनाएं अधिक होती हैं। एक अध्ययन के अनुसार सर्पदंश से भारत में प्रतिवर्ष करीब 56 हजार लोगों की जान जाती है। झारखंड देश के उन आठ राज्यों में शामिल है जहां सर्पदंश से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। इसमें भी 70 फीसद से ज्यादा मौतें जंगल की अधिकता वाले जिलों के ग्रामीणों क्षेत्रों में होती है। पलामू, लातेहार, लोहरदगा, सिमडेगा, गुमला, चतरा, खूंटी, चाईबासा, हजारीबाग में आये दिन सर्पदंश की घटनाएं होती रहती हैं। ऐसे में यहां के लोगों में सांप और सर्पदंश का भय होना स्वाभाविक है, और यही भय सांपों के लिए काल साबित हो रहा है। सांप देखते ही लोग उसे मारने पर आमादा हो जाते हैं। इससे हर साल यहां बढ़ी संख्या में सांप मार दिए जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बरसात के समय अक्सर सांप घर में घुस जाते हैं और जिलों में स्नेक रेस्क्यूर्स नहीं होने के कारण ये मार दिए जाते हैं। वन विभागों के पास इस तरह सांप के मारे जाने का आंकड़ा भी नहीं है। दो वर्ष पूर्व लातेहार में दिया गया था प्रशिक्षण लातेहार में वन विभाग की ओर से ऐसी एक व्यवस्था बनाने की कोशिश हुई थी लेकिन दो साल से इससे संबंधित बैठक नहीं हुई है। दो वर्ष पूर्व वन विभाग की टीम ने नेतरहाट में झारखंड पुलिस के जवानों को भी स्नेक रेस्क्यू और आपात स्थिति में बचाव के तरीकों के लिए प्रशिक्षित किया गया था लेकिन इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। क्या है नियम
नियम के अनुसार वन विभाग को स्नेक रेस्क्यूर्स की व्यवस्था करने बनानी है। ताकि आवासीय या रिहायशी इलाके से सांप को सुरक्षित निकाल जंगल में छोड़ा जा सके। कहीं-कहीं फ्रि लांसर या संपेरों की मदद ली जाती है। हां सांप को मारना या उसके खाल के साथ पकड़े जाना वन्य जीव संरक्षा कानून के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।
सांप के भय से होती है मृत्यु आम तौर पर सभी सांप जहरीले नहीं होते। भारत में 550 से अधिक प्रजातियों के सांप हैं, जिनमें से दस फीसदी से भी कम प्रजाति के सांप जहरीले होते हैं। झारखंड में मात्र पांच जहरीली प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं। सांप देखकर ही लोगों के पसीने छूटने लगते हैं। इसी डर और हार्टअटैक की वजह से ज्यादातर मौत होती है। सांप के जहर से मृत्यु होने के मामले बहुत कम होते हैं।
प्रो. दिलावर, सर्प विशेषज्ञ