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किसानों व ग्रामीणों को दी गई लाभकारी कीटों की जानकारी

किसानों व ग्रामीणों को दी गई लाभकारी कीटों की जानकारी

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 06:39 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 06:39 PM (IST)
किसानों व ग्रामीणों को दी गई लाभकारी कीटों की जानकारी
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किसानों व ग्रामीणों को दी गई लाभकारी कीटों की जानकारी

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संवाद सूत्र, चंदवा (लातेहार) : वन उत्पादकता संस्थान के निदेशक डा. नितिन कुलकर्णी की पहल पर भारत सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम आजादी का अमृत महोत्सव को लेकर जीविकोपार्जन हेतु कीटजनित उत्पाद़ों के महत्व पर चंदवा में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मौके पर मौजूद तकनीकी पदाधिकारी विष्णुदेव पंडित ने कहा कि कुछ कीटों को छोड़कर अन्य पर्यावरण और मानव के साथ सभी जीवों के लिए लाभकारी होते हैं। इनका संरक्षण कर आर्थिक समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। जरूरत है लाभकारी कीटों के पहचान और उसके संरक्षण की। कार्यक्रम में शिरकत कर रही अंजना सुचिता तिर्की ने जीविकोपार्जन हेतु कीट जनित उत्पादों के महत्व पर प्रशिक्षण देते हुए कहा कि मानव सिर्फ दो प्रतिशत हानिकारक कीटो को मार पाने में सक्षम होता है। 98 प्रतिशत कीट तो स्वतः नष्ट हो जाते हैं। कहा कि लाभकारी कीटों का पालन कर खुद के साथ देश को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। सुभाष चंद्रा ने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि सिल्क, मधुमक्खी, लाख जैसे लाभकारी कीटों का पालन कर आमदनी का जरिया बढ़ाया जा सकता है। एसएन वैद्य, आदि ने भी लाभकारी कीटों समेत विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण दिया। सूरज कुमार ने पर्यावरण संरक्षण में कीटों की महता बताई। बताया गया कि यदि कीट परागण नहीं करेंगे तो खाद्यान की प्राप्ति नहीं होगी। पूरी दुनिया में वेस्टेज पड़ा रहेगा। रहने की जगह तक नही बचेगी। यहां मौजूद कीट ही मानव समेत संपूर्ण जीवों और पेड़-पौधों के लिए रहने के लिए जगह, खाने के लिए भोजन समत अन्य व्यवस्था कर पाते हैं। प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि अर्जुना, सहतूत, बैर आदि पेड़ों को उगाकर उनपर लाभकारी कीटों का पालन किया जा सकता है। प्रशिक्षण के दौरान गधुमक्खी पालन, लाख कीट पालन, सिल्क कीट पालन आदि के लिए जनप्रतिनिधियों और वहां मौजूद किसानों तथा ग्रामीणों को प्रेरित किया गया। इस दौरान वन भूमि को बचाने और उसके संरक्षण के लिए भी लोगों को जागरूक किया गया। मौके पर अलौदिया पंचायत की नवनिर्वाचित मुखिया फुलजेन्सिया टोप्पो, रामयश पाठक, मंजय उरांव, बबन मुंडा, अन्तोनी बारला, बिनेश्वर उरांव, परशुराम बैठा, जयपाल उरांव, संदीप टोप्पो, धनेश्वर उरांव, नरेश उरांव, मंगलदेव उरांव, प्र्रदीप उरांव, फिलिप तिग्गा, सुलेंद्र उरांव, श्यामसंुंसद उरांव के साथ कई जनप्रतिनिधि, आसपास के किसान और ग्रामीण मौजूद थें।


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