डीजीपी ने पूछा- अबकी किसकी बारी, जवानों ने कहा सुधाकरण व अरविंद की
लातेहार : डीजीपी डीके पाडेय बुधवार की रात उग्रवादी संगठन जेजेएमपी के विरुद्ध मिली सफलता से गदगद
लातेहार : डीजीपी डीके पाडेय बुधवार की रात उग्रवादी संगठन जेजेएमपी के विरुद्ध मिली सफलता से गदगद हैं। पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में एरिया कमाडर को मार गिराने के बाद शुक्रवार को लातेहार में पुलिस जवानों से मिलते हुए डीजीपी ने अनोखे अंदाज में उनका हौसला बढ़ाया। डीजीपी मुठभेड़ करने वाले पुलिस जवानों के पास गए। उनसे कहा शाबास एरिया कमाडर को मार गिराया, अबकी बार किसकी बारी, जवानों ने एक स्वर में कहा दुर्दात एक-एक करोड़ के इनामी सुधाकरण और अरविंद की बारी। उसके बाद डीजीपी ने कहा कि जो उग्रवादी या नक्सली सरकारी नीतियों को मानकर आत्मसर्पण न करे, उसे छह ईंच छोटा कर दो..। इसी के साथ वंदे मातरम और भारत माता की जय जयकार कर डीजीपी ने जवानों का उत्साहवर्द्धन किया। जवानों को संबोधित करते हुए डीजीपी ने कहा बेहतर और उत्कृष्ट कार्य करने वाले जवान हमेशा सम्मानित किए जाते हैं। नक्सली-उग्रवादी के सामने सुनहरा मौका है कि वह सभी सरेंडर कर दें, जिससे उन्हें सरेंडर पॉलिसी का भरपूर लाभ मिले, नहीं तो अभियान के दौरान सामना हुआ तो एनकाउंटर में उनका मरना तय है। झारखंड पुलिस ने सिर्फ हथियार सप्लाई का कनेक्शन ही नहीं काटा है, साथ ही नक्सली-उग्रवादी तक फंड पहुंचने वाले कनेक्शन को भी तोड़ा दिया है।
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पुलिस के लूटे गए हथियार बरामद
जवानों का उत्सावर्द्धन करने के बाद डीजीपी ने पत्रकारों से भी बात की। उन्होंने बताया कि मुठभेड़ के बाद वहा से बरामद दस हथियार में अधिकाश पुलिस से लूटे हुए हैं। यह लूट कब हुई, इसकी जाच की जा रही है। पत्रकारों से बात करते हुए अभियान आइजी आशीष बात्रा ने कहा कि उग्रवादियों के पास से बरामद हथियार में दो अमेरिकन मेड हैं।
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एक साल में 47 ने किया सरेंडर, 608 गिरफ्तार, 12 ढेर
डीजीपी ने पत्रकारों को बताया कि वर्ष 2017 में कुल 608 नक्सली- उग्रवादी गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि 12 एनकाउंटर में ढेर हुए हैं और 47 नक्सली-उग्रवादी ने सरेंडर किया है। इस वर्ष 40 शीर्ष उग्रवादियों की संपत्ति जब्त करने की तैयारी भी झारखंड पुलिस ने की है।
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कहा से आए अमेरिकन हथियार
पुलिस अधिकारियों की ओर से की गई प्रेस वार्ता में एक खास बात सामने आई, वह है मुठभेड़ स्थल से दो अमेरिकन हथियार। आईजी आशीष बत्रा ने प्रेस वार्ता के दौरान यह स्पष्ट कहा कि उग्रवादियों ने अपने सोर्सेज से अमेरिकन हथियार मंगवाए होंगे। ऐसे में यह सवाल गंभीर है कि आखिर अमेरिकन मेड हथियार उग्रवादियों तक कैसे पहुंच गए। इसका मतलब साफ है कि उग्रवादियों को सफेदपोशों का संरक्षण प्राप्त है। इसकी बदौलत वह अपना संगठन चलाने में कामयाब हो रहे हैं।