गरीबी का कुपोषण दूर कर फैलाई समृद्धि की रोशनी
लंबे समय से नक्सलियों के हेडक्वार्टर के रूप में कुख्यात रहे लातेहार जिले में फैली समृद्धि।
उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार : लंबे समय से नक्सलियों के हेडक्वार्टर के रूप में कुख्यात रहे लातेहार जिले के सरयू गांव में अब दर्द का दहशत नहीं, आर्थिक समृद्धि की रोशनी फैली है। यह सब संभव हो सका मिथेंद्र लकड़ा के प्रयास से। इसने मछली उत्पादन से गरीबी का कुपोषण दूर कर ग्रामीणों को स्वावलंबन की राह दिखाई है।
गारू मत्स्य जीवी सहयोग समिति के सचिव हैं मिथेंद्र लकड़ा। इनसे प्रेरित होकर गांव के लोग प्रत्येक वर्ष यहां रोहू, कतला, बामी, बुआरी समेत विविध किस्म के मछली पालन से आर्थिक प्रगति की ओर अग्रसर हो रहे हैं। मिथेंद्र के कार्यों की सराहना राज्य भर में हो रही है, इनके कार्यों से प्रभावित होकर सरकार ने उन्हें प्रशिक्षण के लिए इजरायल भेजा है।
गांव में ऐसे हुई बदलाव की शुरुआत :
मिथेंद्र ने बताया कि पढ़ाई पूरी करने के बाद काम की तलाश में वे दो वर्षों तक भटकते रहे। इसके बाद खेती की ओर रूख किया। मेहनत के बाद कई फसलों के अच्छे उत्पादन से मनोबल बढ़ा तो मछली पालन करने का निश्चय किया। विभाग के तत्कालीन मत्स्य पर्यवेक्षक रणविजय कुमार ने मनोबल बढ़ाकर मछली का जीरा मुहैया कराया और मागर्दशन किया। इसमें पहले ही वर्ष मुझे 60 हजार का मुनाफा हुआ। इसके बाद मैने अन्य ग्रामीणों को मछली पालन से जोड़ा इसके बाद कारवां बनता गया। बीते दो वर्षों में यहां के कई किसान मछली पालन से जुड़कर सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं। मिथेंद्र ने बताया कि मछली का जीरा एक साल में एक किलो का हो जाता है। मछली की आपूर्ति लातेहार जिला मुख्यालय समेत अन्य इलाकों में भी की जाती है।
इजरायल जाना सपना पूरा होने जैसा :
किसान मिथेंद्र ने बताया कि मछली पालन की दिशा में जिले से लेकर राज्य स्तर पर सराहना मिली तो अच्छा लगा। लेकिन प्रशिक्षण के लिए इजरायल जाने की सूचना मिली तो सपना पूरा होने जैसा महसूस हुआ। इजरायल जाने से पहले दिमाग में बहुत सी बातें चल रही थी, इजरायल के बारे में जो सुना और समझा था उससे कहीं बेहतर यहां आने के बाद लगा। उन्होंने बताया कि इजरायल में किसानों के खेत का भ्रमण करने के बाद ब्रदर्स पोस्ट किसानों को हार्वेस्ट पैकेजिग यूनिट का दौरा किया, जहां फलों और सब्जियों की सफाई, ग्रेडिग और पैकेजिग कैसे होती है, इसकी विस्तार से जानकारी दी गई।
कोट ::
किसानों को अन्नदाता कहा जाता है, अन्नदाता की समृद्धि वाकई सुकून देने का अहसास कराती है। खेती के साथ मछली पालन की दिशा में यह अच्छा प्रयास है। मिथेंद्र के जज्बे की सराहना की जानी चाहिए, खुद सफल होकर दूसरों को सफल बनाना ही असली सफलता है।
- जिशान कमर, उपायुक्त लातेहार।