जलाशय में पसरा शैवाल, संकट में अस्तित्व
संवाद सूत्र चंदवा (लातेहार) जलाशयों की कमी के कारण कृषि को मानसूनी जुआ कहा जाता है।
संवाद सूत्र, चंदवा (लातेहार): जलाशयों की कमी के कारण कृषि को मानसूनी जुआ कहा जाता है। वर्षा के ससमय नहीं होने के कारण कृषि कार्य बेहतर ढंग से नहीं हो पाता और कृषि दम तोड़ती नजर आती है। ऐसा नहीं कि कृषि की मॉनसून पर निर्भरता को कम करने के लिए योजनाएं नहीं बनाई गईं और जलाशयों का निर्माण नहीं किया गया। सरकार ने योजनाएं बनाई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार काम भी हुआ मगर उन योजनाओं से किसानों को कितना लाभ मिल रहा है और उनकी जमीनी हकीकत क्या है। यह किसी से छिपी नहीं है। कुछ योजनाओं पर बेहतर कार्य भी हुआ मगर उचित देखरेख नहीं होने के कारण जलाशय बदहाल हो गए। चंदवा का जगराहा डैम इसकी कहानी बयां करता है। डैम के ऊपरी सतह पर शैवाल और जलीय पौधे पूरे डैम में भरते जा रहे हैं जो इसके उथलेपन को दर्शाते हैं। भूमि अतिक्रमण के साथ शहर के अलौदिया नाले में लोगों द्वारा फेंका गया कचरा और पलास्टिक इसके वजूद को मिटाने पर तुले हैं। इसकी सफाई और भूमि अतिक्रमण की मांग हमेशा उठती रही है मगर प्रशासनिक उपेक्षा के कारण इसका जीर्णाद्धार नहीं हो सका है। पूर्व मंत्री सह विधायक सरयू राय ने भी इसकी सफाई का अभियान चलाया था बावजूद उनके अभियान को गति नहीं मिल सकी। प्रशासन द्वारा सार्थक पहल कर इसका जीर्णोद्धार करने से किसानों को सहायता मिलती। सैकड़ों एकड़ भूमि में लगी फसलों को सिचित कर कृषि पर निर्भरता को टाला जा सकता था। जगराहा डैम के स्त्रोत अलौदिया नाले से भी सैकड़ों एकड़ भूमि पर खेती होती थी। जलाशयों की बदहाली से किसान चितित हैं।
कहते हैं बीडीओ:
बीडीओ अरविन्द कुमार ने इस बावत बताया कि किसानों को राहत पहुंचाने और जलाशयों के निर्माण के लिए कई तरह की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। जगराहा डैम और अलौदिया नाले की सफाई पर कहा कि मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है। बारिश के मौसम के कारण फिलवक्त इस पर कार्य संभव नहीं है। योजनाओं पर कार्य कर आगामी वर्ष में इसपर कार्य किया जाएगा। आम नागरिकों से सहभागिता की अपील भी की है।