गर्व की बात! इस गांव की बेटी ने पहली बार पास की मैट्रिक की परीक्षा
झारखंड में लातेहार जिले के सूदूरवर्ती गांव उचवावल की बेटी अनु गांव की पहली बेटी है, जिसने मैट्रिक की परीक्षा पास की है।
उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार। आदिम जनजाति की सूची में शामिल परहिया जनजाति की बेटी अनु ने मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली है। लातेहार जिले के सूदूरवर्ती गांव उचवावल की बेटी अनु गांव की पहली बेटी है, जिसने मैट्रिक की परीक्षा पास की है। मनिका प्रखंड के रांकीकला पंचायत के दुर्गम इलाके में स्थित उचवावल गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। पूरे प्रदेश में परहिया जनजाति की संख्या कोई 25 हजार के करीब और साक्षरता दर एक अंक में सीमित है। आधी आबादी भूमिहीन है। अनु का कहना है कि वह सरकारी नौकरी में जाकर अपने गांव की लड़कियों को प्रेरणा देना का कार्य करेगी।
दो माह की थी तो चल बसी थी मां
अनु जब दो माह की थी तभी मां का साथ छूट गया, ऐसे में पिता ने मजदूरी करके अपने बच्चों को पाल पोस कर बड़ा किया। गांव में किसी बेटी ने मैट्रिक की परीक्षा नहीं दी थी, अनु की भी पढ़ाई की वैसी व्यवस्था नहीं थी, लेकिन पिता और पारा शिक्षक कृष्ण कुमार राम ने हौसला दिया तो वह पढ़ने को तैयार हुई और उसका नामांकन कस्तूरबा गांधी विद्यालय मनिका में कराया गया। इसके बाद मैट्रिक की परीक्षा द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण कर अपने गांव को गौरवान्वित कर दिया।
गांव में सड़क न सिंचाई
गांव में निवास करने वाले लोग आज भी सड़क के बदले पगडंडियों से आवागमन करते हैं। सिंचाई साधनों के अभाव में सैकड़ों एकड़ भूमि परती रह जाती है। बरसात के बाद गांव के लोग काम की तलाश में दूसरे इलाके में पलायन करने को विवश हो जाते हैं। विकास की किरणों से दूर गांव में वोट मांगने के बाद कभी भी जन प्रतिनिधियों की टीम गांव में दस्तक नहीं देती।
अभियान विद्यालय के बाद जाना शिक्षा का हाल
गांव में दस वर्ष पूर्व अभियान विद्यालय खोला गया। इसके पहले गांव में लोगों को शिक्षा और स्कूल के बारे में जानकारी नहीं थी। विद्यालय खुलने के बाद गांव के बच्चों ने पढ़ना लिखना शुरू किया था। वर्तमान में शिक्षकों की प्रेरणा से गांव के बच्चों में पढ़ाई की ललक जगी है और सभी पढ़ाई करने को आगे आ रहे हैं। रोजाना विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति 40 के करीब रहती है।
पहले अनु पढ़ाई से दूर भागती थी, काफी समझाने के बाद पढ़ाई के लिए तैयार हुई। यहां के लोग अपनी बच्चियों की कम उम्र में ही शादी कर देते हैं। इसी का परिणाम है कि यहां किसी लड़की ने आज तक मैट्रिक की पढ़ाई ही नहीं की।
- कृष्ण कुमार राम, पारा शिक्षक अभियान विद्यालय, उचवावल मनिका, लातेहार।