दस बजे विस्फोट के बाद होने लगी गोलीबारी
संवाद सूत्र गारू (लातेहार) घटना के संबंध में गांव के ही सुगनदेव उरांव ने बताया कि गांव
संवाद सूत्र, गारू (लातेहार) : घटना के संबंध में गांव के ही सुगनदेव उरांव ने बताया कि गांव के दो किलोमीटर दूरी पर लगभग 10 बजे अचानक एक के बाद एक चार विस्फोट व गोलीबारी आवाज सुनाई दी। आवाज सुनकर गांव के सभी लोग सहम गए। ऐसा लगा जैसे चारों तरफ से गोलियां चल रही हों। वहीं अन्य ग्रामीणों ने डर के कारण पत्रकारों से बात करने से ही मना कर दिया। वहीं कुछ लोगों ने बताया कि बूढ़ा पहाड़ से गुरुवार को माओवादी दास्ता लोहरदगा जाने के लिए निकला था। तभी पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि बिशुनपुर व गारू थाना के सीमावर्ती इलाके के बंदरलेटा जंगल में माओवादियों का जमावड़ा हुआ है।
शुक्रवार की रात लातेहार पुलिस जंगल में अभियान चला रही थी इसी बीच शनिवार की सुबह करीब दस बजे पुलिस व माओवादियों के बीच मुठभेड़ होने लगी। मुठभेड़ में किसी भी पुलिस या माओवादियों के हताहत होने की सूचना नहीं है। इस संबंध में बिशुनपुर थाना प्रभारी सदानंद सिंह ने बताया कि बिशुनपुर व गारू थाना क्षेत्र के सीमावर्ती जंगल में गोलीबारी व चार लैंडमाइन ब्लास्ट हुआ है। शादी का माहौल मातम में बदला ग्रामीणों ने बताया कि गोपखांड गांव में मनीष नगेसिया की शादी थी शनिवार को उसके घर पार्टी होने वाला था। इसीलिए गांव की सात महिलाएं बंदरलेटा जंगल में पत्ता तोड़ने गई थी। ताकि भोज के लिए पत्तल बनाया जा सके। इसी बीच जंगल में मुठभेड़ होने लगा और लैंडमाइंस विस्फोट कर दिया गया। जिससे गांव की सांझो देवी की मौत हो गई। महिला की मौत होने से गांव में खुशी का माहौल मातम में बदल गया। सांझो का शव दिन भर जंगल में ही पड़ा रहा। कई बार ग्रामीणों के द्वारा जंगल से लाश लाने का प्रयास किया परंतु भय के कारण कोई भी जंगल में घुसना नहीं चाह रहा था। ग्रामीणों ने पुलिस पिकेट में जाकर लाश लाने की गुहार लगाई गई लेकिन पुलिस द्वारा बताया गया कि अभी अभियान चल रहा है जिसके बाद लाश को लाया जाएगा। बम विस्फोट को बाद फायरिग हुई शुरू गोपखांड गांव की महिलाओं द्वारा बताया गया कि वे लोग पत्ता तोड़ने के लिए जंगल गए हुए थे तभी सबसे आगे सांझो देवी चल रही थी। तभी उसका पांव माओवादियों द्वारा जंगल में बिछाए गए लैंडमाइंस पर पड़ गया जिससे विस्फोट हो गया। महिलाओं ने बताया कि लैंडमाइंस के विस्फोट होने के बाद ही गोलियां चलनी शुरु हुई। तब वे लोग भाग कर गांव पहुंचे। पूर्व में भी भी हुई थी यहां मुठभेड़ पुलिस एवं माओवादी के बीच पूर्व में भी इसी जंगल में मुठभेड़ हो चुकी है। जिस दौरान भाकपा माओवादी के बलराम जी को पुलिस ने मार गिराया था। शुरू से यह जंगल माओवादियों का सेफ जोन माना जाता है और इसी जंगल से माओवादी आसानी से बूढ़ा पहाड़, लातेहार, छत्तीसगढ़, गुमला एवं लोहरदगा जंगल के रास्ते जा सकते हैं इसीलिए यह क्षेत्र माओवादियों का गढ़ माना जाता है।