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छह साल से चालू होने की बाट जोह रहा अभिजीत पावर प्लांट

उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार : चंदवा का पावर प्लांट बंद होने से जिले का औद्योगिक ग्राफ तेजी से गिर

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Apr 2018 06:16 PM (IST)Updated: Wed, 25 Apr 2018 06:16 PM (IST)
छह साल से चालू होने की बाट जोह रहा अभिजीत पावर प्लांट
छह साल से चालू होने की बाट जोह रहा अभिजीत पावर प्लांट

उत्कर्ष पाण्डेय, लातेहार : चंदवा का पावर प्लांट बंद होने से जिले का औद्योगिक ग्राफ तेजी से गिर रहा है। प्लांट के बंद होने से औद्योगिक माहौल तो बिगड़ा ही ग्रामीणों के समक्ष रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गई है। प्लांट बंद होने के अभिजीत ग्रुप के इस पावर प्लांट को एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी इंडिया आरसीएल ने टेक ओवर कर लिया है।

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अब इस पावर प्लांट को आरसीएल कंपनी द्वारा शुरू किए जाने की चर्चा तो है। लेकिन टेकओवर के एक वर्ष बीत जाने के बाद भी काम शुरू नहीं हुआ है।

छह साल पहले ही शुरू होना था प्लांट

अभिजीत ग्रुप द्वारा कोल बेस्ड मेगावाट पावर प्लांट लगाने के लिए झारखंड सरकार के साथ एमओयू हुआ था। कंपनी ने वर्ष 2006 में लातेहार जिले के चंदवा में पावर प्लांट लगाने का काम शुरू किया। वर्ष 2013 में प्लांट शुरू होना था, लेकिन काम पूरा नहीं हुआ। अंतत: कंपनी ने प्रोडक्शन स्टार्ट करने की तैयारी शुरू कर दी। इसी बीच अभिजीत ग्रुप के निदेशकों का नाम कोल स्कैम में आ गया। अभिजीत ग्रुप का चितरपुर कोल ब्लॉक रद कर दिया गया। इसके बाद बैंकों ने भी अभिजीत ग्रुप का साथ छोड़ दिया। इसके बाद से अभिजीत ग्रुप की भी रूचि खत्म हो गई। नतीजन प्लांट बंद पड़ा हुआ है। कंपनी का काम बंद होने पर हुआ एक्शन जब अभिजीत ग्रुप ने चंदवा में पावर प्लांट का काम बंद कर दिया, तो केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट मानिटरिंग ग्रुप के अंदर में इस कंपनी को ले लिया। इसके बाद से इस कंपनी को टेक ओवर करने के लिए कई कंपनियों ने प्रयास किया। अंत में एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी इंडिया आरसीएल ने टेकओवर कर लिया। लोगों की मानें तो आरसीएल कंपनी का शेयर इसमें कुछ प्रतिशत ही है, प्लांट का अधिकांश शेयर बैंकों के पास है। कंपनी ने शुरू की एक्टिविटी आरसीएल कंपनी ने चंदवा में पावर प्लांट को अपने कब्जे में लेने के बाद वहां गतिविधियां शुरू कर दी है। समाजिक कार्यों को लेकर कंपनी द्वारा प्लांट के आसपास रहने वाले लोगों को विविध सुविधाएं मुहैया कराई जाने लगी हैं। ठंड के दिनों में ग्रामीणों के बीच कंबल बांटा गया, साथ ही गांव में मेडिकल कैंपों का भी आयोजन कराया गया।

करोड़ों के सामान हो गए चोरी :

वर्ष 2013 के अंतिम में कंपनी पूरी तरह से इस प्लांट को छोड़ दी, इसके बाद वहां प्लांट से चोरी की घटनाएं शुरू हो गईं। कई बार प्लांट में आग भी लगाया जा चुका है। एक अनुमान के मुताबिक प्लांट से इस दौरान करोड़ों के कीमती कल-पुरजे चोरी हो गए हैं।

क्या थी कंपनी की योजना :

- कुल 1740 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने का कंपनी का था लक्ष्य।

- वर्ष 2005-06 से शुरू हुआ था पावर प्लांट लगाने का काम।

- तीन हजार एकड़ भूमि खरीदी थी कंपनी ने।

- छह हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुका है।

कोट::

प्लांट चालू होने से निश्चित ही क्षेत्र को फायदा होगा। रोजगार के साधन बढ़ने से बेरोजगारी की समस्या पर भी लगाम लगेगी। ग्रामीणों के लिए इस दिशा में जिला प्रशासन अपनी ओर से पूरी कोशिश करेगा।

- राजीव कुमार, उपायुक्त लातेहार


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