नहीं बना ट्रामा सेंटर, स्वास्थ्य सुविधाएं भी बदहाल
जिला अस्पताल को सदर अस्पताल का दर्जा मिले कई वर्ष हो चुके हैं लेकिन सदर अस्पताल का दर्जा मिले इतने दिन बीत जाने के बाद भी आज वहां सुविधाओं का घोर अभाव है। यहां चिकित्सकों व कर्मियों की कमी के कारण मरीजों के इलाज में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
कोडरमा : कोडरमा जिला बने 25 वर्ष पूरा होने के बाद भी पूरे लोकसभा क्षेत्र में कहीं भी ट्रामा सेंटर आजतक नहीं बन सका। इससे दुर्घटनाग्रस्त मरीजों की जहां इलाज नहीं होने से असमय मौत हो रही है, वहीं स्वास्थ्य सेवाओं का हाल भी काफी बेहाल है। सरकार व जन प्रतिनिधयों के स्तर से इस दिशा में पहल का कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आया है। कोडरमा जिला अस्पताल को सदर अस्पताल का दर्जा मिले इतने दिन बीत जाने के बाद भी आज वहां सुविधाओं का घोर अभाव है। यहां चिकित्सकों व कर्मियों की कमी के कारण मरीजों के इलाज में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 2007 में जिले के अनुमंडल अस्पताल को सदर अस्पताल का दर्जा तो दिया गया, लेकिन न तो अबतक सदर अस्पताल के मुताबिक चिकित्सकों की ही व्यवस्था की गई है और ना ही कर्मियों की कमी को ही पूरा किया गया है। कोडरमा सदर अस्पताल में मात्र 12 चिकित्सक ही कार्यरत हैं। और पिछले एक माह पूर्व दो हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक को अनुबंध पर लाया गया है। वहीं कर्मियों के मामले में तो अनुमंडल अस्पताल में भी जितने कर्मी होने चाहिए, उतने भी फिलहाल कार्यरत नहीं हैं। यहां 33 कर्मियों के बनिस्पत मात्र 16 कर्मी ही कार्यरत हैं। सौ शैय्या वाले सदर अस्पताल भवन का उद्घाटन तो एक वर्ष पूर्व 14 जनवरी को बड़े ही तामझाम से किया गया। लोगों को उम्मीद थी की नए भवन में कार्य शुरू होने से जिले के लोगों को कई प्रकार की सुविधाएं मिलेगी। पर एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अस्पताल में व्यवस्था की कमी स्वास्थ्य सेवा में बाधक बना हुआ है। कोडरमा सदर अस्पताल को नए भवन में शिफ्ट तो कर दिया गया, पर आज भी चिकित्सकों व कर्मियों की कमी यथावत बनी हुई है। साथ ही नए भवन में पानी की कमी बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। पानी की कमी के कारण ऑपरेशन अब भी पुराने भवन में ही किया जा रहा है। सुविधाओं की कमी के कारण सदर अस्पताल में ऑपरेशन से प्रसव के अलावे अन्य कोई भी ऑपरेशन आज भी नहीं किए जाते हैं। एक्सीडेंटल जोन में है सदर अस्पताल कोडरमा: कोडरमा सदर अस्पताल दो घाटियों के बीच एक्सीडेंटल जोन में अवस्थित होने के कारण अधिकतर दुर्घटनाओं के गंभीर मरीज आते हैं। संसाधनों, चिकित्सकों व कर्मियों की कमी की वजह से सड़क दुर्घटना के वैसे मरीज जिन्हें बचाया जा सकता है, उन्हें भी रेफर कर दिया जाता है। रांची व पटना की दूरी ज्यादा होने के कारण कई गंभीर मरीजों की जान चली जाती है। इसके अलावे नाक कान व गला के चिकित्सक नहीं हैं, मानसिक रोग विशेषज्ञ, चर्म रोग विशेषज्ञ चिकित्सक भी नहीं हैं।
यहां साधन व सुविधा की स्थिति अत्यंत ही बदतर है। पूरे जिले में घटने वाली दुर्घटनाओं के शिकार मरीज को इलाज के लिए यही भेजा जाता है। 2 वर्षो से खराब है अल्ट्रासाउंड व एक्सरे मशीन कोडरमा: सदर अस्पताल का सरकारी अल्ट्रासाउंड मशीन पिछले करीब दो वर्षों से खराब पड़ा है। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से उसे पिछले दो वर्षों में भी आजतक नहीं बनवाया जा सका है। वहीं सरकारी एक्सरे मशीन भी खराब पड़ा है। जिससे मरीजों व खासकर गर्भवती महिलाओं को मिलने वाला लाभ नहीं मिल पा रहा है।