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अंधकार से प्रकाश की ओर जाना सीखाता है पर्युषण पर्व: सौभाग्यमती

जैन धर्म का महापर्व दशलक्षण पर्युषण महापर्व शुक्रवार

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Sep 2021 07:03 PM (IST)Updated: Fri, 10 Sep 2021 07:03 PM (IST)
अंधकार से प्रकाश की ओर जाना सीखाता है पर्युषण पर्व: सौभाग्यमती

संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा): जैन धर्म का महापर्व दशलक्षण पर्युषण महापर्व शुक्रवार से शुरू हो गया। इस अवसर पर झुमरीतिलैया के स्टेशन रोड व पानी टंकी रोड में स्थित दोनों जैन मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया गया है। दस दिनों तक लगातार जैन धर्म के लोग अपने आत्म कल्याण और विश्व शांति के लिए पूजापाठ, व्रत ,उपवास, तप, त्याग कर ईश्वर की आराधना करेंगे। इस अवसर पर जैन मंदिर में प्रात: भगवान का मंत्रित जल से अभिषेक, शांति धारा समाज के पुरुष व बच्चों ने केसरिया वस्त्र पहन कर किया। सभी महिलाएं,युवतियां लाल, पीला, केसरिया परिधान में पूजा विधान कार्यों में लगी रहीं। जैन मंदिर में विराजमान परम विदुषी आर्यिका 105 सौभाग्य मति माताजी ने पर्युषण महापर्व पर उत्तम क्षमाधर्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पर्व मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर जाना सिखाता है। पर्युषण महापर्व भगवान महावीर के मूल 5 सिद्धांतों पर आधारित है। क्षमा वीरो का आभूषण है, जीवन में क्षमा को धारण करके ही विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है, समाज व परिवार में शांति रह सकती है, क्षमा वह हथियार है जिसके द्वारा किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है। इससे आपस के बैर, दुश्मनी क्षण भर में ही दूर हो जाते हैं। मन और मस्तिष्क में किसी को किसी भी प्रकार से नीचा दिखाने के विचार नहीं रह जाते हैं और ना ही किसी के प्रति कटुता दुश्मनी रहती है। जैन धर्म में पर्युषण पर्व के दौरान यह संकल्प लिया जाता है कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप में किसी भी जीव को कभी भी किसी प्रकार का कष्ट नहीं पहुंचाएंगे। संसार के समस्त प्राणियों से जाने अनजाने में किए गए गलतियों के लिए क्षमा याचना करेंगे। दशलक्षण पर्व प्रकृति और पर्यावरण से भी जुड़ा हुआ है। मानसून के अवसर पर मनाया जाने वाला यह पर्व पूरे समाज को प्रकृति से जुड़ने की सीख देता है। शुक्रवार को प्रात: मूल नायक श्री पारसनाथ भगवान का प्रथम अभिषेक और शांतिधारा करने का सौभाग्य सुरेश कुमार जी नरेंद्र झांझरी परिवार को मिला। वहीं भगवान नेमिनाथ की वेदी पर भगवान पुष्पदंत का प्रथम अभिषेक एवं शांतिधारा के पुण्यार्जक

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रतन लाल राकेश आदित्य छाबड़ा परिवार को मिला। भगवान का श्री विहार और पांडुक शिला पर भगवान को विराजमान करना एवं भगवान के प्रथम अभिषेक का सौभाग्य

विमल कुमार संजय बड़जात्या परिवार को मिला। इसी प्रकार अन्य विधान समाज के अलग-अलग परिवारों द्वारा किया गया। वहीं संध्या में भव्य आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। समाज के अध्यक्ष मंत्री चतुर्मास कमेटी के संयोजक सभी लोग कार्यक्रम को सफल बनाने में लगे हुए हैं। जैन समाज मीडिया प्रभारी नवीन जैन एवं राजकुमार अजमेरा मौके पर उपस्थित थे।


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