Lok Sabha Polls 2019: चिकित्सकों और सुविधाओं की कमी से जूझ रहा कोडरमा सदर अस्पताल
Lok Sabha Polls 2019. कोडरमा जिला बने 25 वर्ष हो गए लेकिन पूरे लोकसभा क्षेत्र में कहीं ट्रामा सेंटर नहीं बन सका। दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पाता है।
कोडरमा, जेएनएन। कोडरमा जिला बने 25 वर्ष हो गए, लेकिन पूरे लोकसभा क्षेत्र में कहीं भी ट्रामा सेंटर आजतक नहीं बन सका। इससे दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पाता है और उनकी असमय मौत हो जाती है। स्वास्थ्य सेवाओं का हाल भी काफी बेहाल है। सरकार व जनप्रतिनिधियों के स्तर से इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की गई है।
कोडरमा जिला अस्पताल को सदर अस्पताल का दर्जा मिलने के बाद भी आज यहां सुविधाओं का घोर अभाव है। यहां चिकित्सकों व कर्मियों की कमी के कारण मरीजों के इलाज में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वर्ष 2007 में जिले के अनुमंडल अस्पताल को सदर अस्पताल का दर्जा दिया गया। लेकिन यहां सदर अस्पताल के मुताबिक चिकित्सकों की व्यवस्था नहीं की गई।
अस्पताल में कर्मियों की भी कमी है। कोडरमा सदर अस्पताल में मात्र 12 चिकित्सक ही कार्यरत हैं। एक माह पूर्व दो हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक को अनुबंध पर लाया गया है। यहां 33 कर्मियों के मुकाबले मात्र 16 कर्मी ही कार्यरत हैं। सौ शैय्या वाले सदर अस्पताल भवन का उद्घाटन तो एक वर्ष पूर्व 14 जनवरी को बड़े ही धूमधाम से किया गया।
लोगों को उम्मीद थी कि नए भवन में कार्य शुरू होने से जिले के लोगों को कई प्रकार की सुविधाएं मिलेंगी। पर एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अस्पताल में व्यवस्था की कमी स्वास्थ्य सेवा में बाधक बनी हुई है। कोडरमा सदर अस्पताल को नए भवन में शिफ्ट तो कर दिया गया, पर आज भी चिकित्सकों व कर्मियों की कमी यथावत बनी हुई है।
नए भवन में पानी की कमी बहुत बड़ी समस्या है। पानी की कमी के कारण अभी भी ऑपरेशन पुराने भवन में ही किया जा रहा है। सुविधाओं की कमी के कारण सदर अस्पताल में प्रसव के लिए ऑपरेशन के अलावा अन्य कोई ऑपरेशन नहीं किया जाता है।
अबतक नहीं बना ट्रामा सेंटर
कोडरमा सदर अस्पताल दो घाटियों के बीच स्थित है। एक्सीडेंटल जोन में अवस्थित होने के कारण दुर्घटना के अधिकतर मरीज यहीं पर आते हैं। संसाधनों, चिकित्सकों व कर्मियों की कमी से सड़क दुर्घटना के मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। रांची व पटना की दूरी च्यादा होने के कारण कई गंभीर मरीजों की जान चली जाती है। इसके अलावा नाक, कान व गला के चिकित्सक नहीं हैं। मानसिक रोग विशेषज्ञ, चर्म रोग चिकित्सक भी नहीं हैं।
दो वर्षों से अल्ट्रासाउंड व एक्सरे मशीन है खराब
सदर अस्पताल का सरकारी अल्ट्रासाउंड मशीन पिछले करीब दो वर्षों से खराब पड़ा है। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से उसे आजतक नहीं बनवाया जा सका है। वहीं सरकारी एक्सरे मशीन भी खराब पड़ा है। इससे मरीजों खासकर गर्भवती महिलाओं को असुविधा हो रही है।