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सिगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल, इंसानी जिदंगी व मवेशियों के लिए है खतरनाक

संवाद सहयोगी कोडरमा सिगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल रोकने को लेकर प्रशासनिक स्तर से कई

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 07:46 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 07:46 PM (IST)
सिगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल, इंसानी जिदंगी व मवेशियों के लिए है खतरनाक
सिगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल, इंसानी जिदंगी व मवेशियों के लिए है खतरनाक

संवाद सहयोगी, कोडरमा : सिगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल रोकने को लेकर प्रशासनिक स्तर से कई बार अभियान चलाए जाते है, लेकिन हर बार अभियान ढाक के तीन पात ही साबित हो रहा है। हालांकि अभियान चलाए जाने के दौरान प्रशासनिक सख्ती का असर कुछ दिनों तक जरूर दिखता है, लेकिन अभियान सिगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बदस्तूर जारी हो जाता है। एक बार फिर से स्वच्छ भारत मिशन के तहत 8 अगस्त से 15 अगस्त तक गंदगी मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है और खासकर ग्रामीण इलाकों में लोगों को इस अभियान के जरिए सिगल यूज प्लास्टिक को इस्तेमाल नहीं करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। लेकिन इस बार भी इस अभियान का कितना असर दिखेगा, पिछले दिनों चलाए गए अभियान की सफलता से इसका अनुमान लगाया जा सकता है। :::नाली जाम से लेकर सड़क पर गंदगी फैलाता है प्लास्टिक:::

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सिगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल आम जनजीवन के लिए न सिर्फ खतरनाक है, बल्कि लोगों की दिनचर्या को भी प्रभावित करता है। गली-मुहल्लों में प्लास्टिक कचरे का सबसे बड़ा माध्यम है। हर दिन नाली जाम और सड़क पर फैले कचड़े के उठाव में सिगल यूज प्लास्टिक का अंश ज्यादा ही दिखाई देता है, साथ ही नालों के जाम का प्लास्टिक एक अहम कारण भी बना है। वहीं दूसरी तरफ सिगल यूज प्लास्टिक में फेंके गए खाद्य पदार्थो का सेवन कर मवेशी भी मौत की चपेट में आ रहे हैं। :::प्लास्टिक पर प्रतिबंध को लेकर नहीं दिखती सख्ती:::

आम लोग यह मानते है कि अभियान के दौरान प्रशासन के द्वारा कुछ दिनों तक प्लास्टिक बैन को लेकर सख्ती दिखती है और सिगल यूज प्लास्टिक के कारोबारियों के यहां छापेमारी भी होती है, लेकिन इसका ज्यादा दिनों तक असर नहीं दिखता है। किराना दुकान चलाने वाले व्यवसायी गोविद मोदी का कहना है कि अभियान के दौरान लोग समान लेने झोला लेकर आते थे, लेकिन सख्ती कम होने के साथ लोग अपनी आदत के अनुसार फिर से पॉलीथिन की मांग करने लगते हैं। वहीं फल दुकानदार मनोज साव ने कहा कि प्रशासन दुकानदारों के यहां प्लास्टिक को लेकर छापेमारी तो करती है, लेकिन जहां प्लास्टिक तैयार किया जाता है उन फैक्ट्रियों में छापेमारी नहीं करती, ऐसे में प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं रोका जा सकता।

कोट

प्लास्टिक का इस्तेमाल रोकना एक बड़ी चुनौती है लेकिन प्लास्टिक बैन को लेकर प्रशासन की ओर से लगातार कार्रवाई हो रही है। उन्होने बताया कि कोरोना काल में प्लास्टिक बैन को लेकर अभियान थोड़ा सुस्त हो गया है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में एक बार फिर 15 अगस्त के बाद व्यापक अभियान चलाया जाएगा।

-कौशलेश कुमार- कार्यपालक पदाधिकारी, नप झुमरीतिलैया।


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