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सुई-धागे से बदली जिंदगी, अब बनेंगी मिट्टी की डॉक्टर Koderma News

Jharkhand. महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर न सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी पेश कर रही है ।

By Edited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 06:04 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 06:04 PM (IST)
सुई-धागे से बदली जिंदगी, अब बनेंगी मिट्टी की डॉक्टर Koderma News
सुई-धागे से बदली जिंदगी, अब बनेंगी मिट्टी की डॉक्टर Koderma News

कोडरमा, जासं। सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर न सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी पेश कर रही हैं। इसकी एक बानगी सतगावां प्रखंड के पचमोह गांव की संगीता कुमारी हैं। सामाजिक बंधनों को पीछे छोड़ संगीता सरकारी पहल पर खुद को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ दूसरी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का गुर सिखा रही हैं। एक साल पहले आर्थिक अभाव से जूझ रही थीं। पति की अच्छी आमदनी नहीं होने के कारण बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी प्रभावित हो रही थी।

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इसलिए वह खुद को आत्मनिर्भर बनाना चाहती थी। रोजगार के लिए संगीता ने बैंकों से ऋण भी लेना चाहा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। बाद में गांव की महिलाओं ने संगीता को महिला मंडल से जुड़ने की सलाह दी। झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के सहयोग से संगीता स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं। समूह से बचत की आदत सीख संगीता ने महिला मंडल से लोन लेकर किराना दुकान खोली और आज अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं।

यही यहीं, संगीता सिलाई में भी निपुण हैं और महिला मंडल की सदस्यों को सिलाई का प्रशिक्षण भी देती हैं। हाल ही संगीता को स्कूल ड्रेस बनाने का ऑर्डर मिला, जिसे उन्होंने महिला मंडल की सदस्यों के साथ मिलकर पूरा किया। संगीता जिस समूह से जुड़ीं हैं, उसका नाम लक्ष्मी आजीविका महिला मंडल है। इसमें 11 महिलाएं हैं। सभी हर सप्ताह नियत समय पर बैठक करती हैं और एक निर्धारित राशि समूह में जमा भी करती हैं। जरूरतमंद महिलाओं को ऋण भी देती हैं।

इसी के साथ समूह की महिलाएं एक मुट्ठी चावल जमा कर गरीबों की शादी ब्याह में मदद करती हैं। लक्ष्मी महिला मंडल की अध्यक्ष अनीता देवी बताती हैं कि संगीता ने महिला मंडल के जरिए खुद को आत्मनिर्भर बना कर मिसाल पेश की है। महिलाएं बताती हैं की समूह की जब भी बैठक होती है, महिलाएं एक दूसरे की समस्याओं पर भी चर्चा करती हैं।

मंडल की सक्रिय सदस्य राधा देवी बताती हैं कि साल भर पहले ऐसे ही एक दिन समूह में संगीता ने अपनी समस्या का जिक्र किया और समूह की मदद से संगीता ने खुद को आत्मनिर्भर बना लिया। संगीता के कार्यो से प्रभावित होकर हाल में उसे मिट्टी के डॉक्टर की ट्रेंनिग भी दी गई है और आने वाले समय में संगीता महिलाओं के साथ साथ किसानों को मिट्टी से जुड़ी जानकारी देकर फसलों के बेहतर पैदावार में मदद करेंगी।


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