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अंतिम सांसें गिन रहे माइका उद्योग को चाहिए ऑक्सीजन

कोडरमा लोकसभा के लोकप्रिय सांसद अन्नपूर्णा देवी जी ने लोकसभा में लोक महत्त्व के अविलाम्नीय मुद्दे के तहत कोडरमा और गिरिडीह में अंतिम सांसे गिन रहे माइका उद्योग का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि कोडरमा और गिरिडीह की विश्व स्तर पर माइका को लेकर पहचान थी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 07:34 PM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 06:43 AM (IST)
अंतिम सांसें गिन रहे माइका उद्योग को चाहिए ऑक्सीजन
अंतिम सांसें गिन रहे माइका उद्योग को चाहिए ऑक्सीजन

संवाद सहयोगी, कोडरमा: कोडरमा और गिरिडीह क्षेत्र में प्रसिद्ध माइका उद्योग को पुनर्जीवित करने की मांग सांसद अन्नपूर्णा देवी ने गुरुवार को संसद में की। उन्होंने कहा कि माइका उद्योग अंतिम सांस गिन रहा है। इसे ऑक्सीजन की जरूरत है। यह उद्योग लाखों लोगों को रोजगार देता है।

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मालूम हो कि पिछले दिनों दैनिक जागरण के 'हर वोट कुछ कहता है' कार्यक्रम में सांसद को जनता की ओर से सौंपे गए मांगपत्र में माइका उद्योग का मुद्दा दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया था। कार्यक्रम में सांसद ने दैनिक जागरण द्वारा तैयार किए गए मांगपत्र में शामिल मुद्दों को संसद व सरकार के समक्ष उठाने और इसे समाधान के अंजाम तक पहुंचाने की बात कही थी। संसद में अपनी बात रखते हुए अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि कोडरमा और गिरिडीह में माइका उद्योग अंतिम सांसें गिन रहा है। कोडरमा और गिरिडीह की विश्व स्तर पर माइका को लेकर पहचान थी। देश का सबसे ज्यादा अभ्रक इन जिलों में निकलता था। आज भी यहां के भूगर्भ में अभ्रक काफी मात्रा में है। एक आंकड़े के अनुसार भारत के उत्पादित होनेवाले अभ्रक का 75 प्रतिशत और विश्व में उत्पादित अभ्रक का 25 प्रतिशत भंडार इन दो जिलों में है। एक समय अभ्रक को लेकर इस क्षेत्र की चमक थी। आज वह चमक समाप्त होने के कगार पर है। अभ्रक से कई महंगी धातुओं सहित पेंट्स, इलेक्ट्रोनिक सामान, प्लास्टिक सामान सहित मेडिसिन में भी इसका प्रयोग किया जाता है। कभी यहां के उत्पादित अभ्रक की मांग जापान, कोरिया, चीन एवं अमेरिका में होती थी। सरकार को भी करोड़ों रुपये का राजस्व मिलता था। लेकिन आज इसमें काफी कमी आई है। उल्लेखनीय है कि माइका इलाके में रोजगार का सबसे बड़ा साधन था। यहां करीब दो लाख लोग माइका के क्षेत्र में नियोजित थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न कारणों से यहां माइका का कारोबार ठप पड़ गया है। माइका के कारोबार से जुड़े कारोबारियों को सरकारी नीतियों के कारण जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा परेशान किया जाता है। पिछले दिनों दैनिक जागरण के कार्यक्रम में यहां के प्रबुद्ध माइका व्यवसायियों ने सांसद के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा था कि कभी माइका के कारोबारियों की प्रतिष्ठा दुनिया में थी, लेकिन आजकल प्रशासन के लोग इन्हें अवैध कारोबारी की नजर से देखते हैं। इसलिए माइका की खोई प्रतिष्ठा वापस होनी चाहिए।


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