कोविड के दौर में सबसे वीवीआइपी हुई आक्सीजन स्पेशल ट्रेन
संवाद सहयोगी झुमरीतिलैया (कोडरमा) कोरोना संक्रमण के दौर में आक्सीजन एक्सप्रेस स्पेशल ट्र
संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा) : कोरोना संक्रमण के दौर में आक्सीजन एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेन बन चुकी है जो कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए संजीवनी बन चुके लिक्विड मेडिकल आक्सीजन लेकर चलती है। कोडरमा के रास्ते भी दिल्ली उत्तर प्रदेश के लिए बोकारो और दुर्गापुर से बिना रुकावट के सीधे निकल जा रही है। कोरोना महामारी के दौर में राजधानी एक्सप्रेस से कहीं ज्यादा आक्सीजन एक्सप्रेस को अहमियत दी जा रही है। भले ही यह मालगाड़ी हो लेकिन इस ट्रेन को विदा करने के लिए रेलवे के वरीय अधिकारियों की फौज रहती है। यही नहीं इस ट्रेन में चीफ लोको इंस्पेक्टर, मैकेनिकल विभाग की टीम सहित ट्रेन को सुरक्षा देने के लिए आरपीएफ के जवान भी तैनात रहते हैं ताकि रास्ते में किसी भी तरह की परेशानी आए तो उसका त्वरित समाधान किया जा सके। ग्रीन कारिडोर से गुजरती है ट्रेन :
कोरोना महामारी के कारण कई शहरों में आक्सीजन की किल्लत हो गई है। ऐसे में रेलवे बोर्ड उन स्थानों से आक्सीजन की ढुलाई कर रही है जहां आक्सीजन का उत्पादन होता है। मरीजों की जान बचाने के लिए आक्सीजन समय पर पहुंचे। इसके लिए रेलवे ने देश भर में ग्रीन कारिडोर सर्किट बनाया है। इसके लिए विशेष इंतेजाम किए गए हैं। जब ट्रेन प्रारंभ होने वाले स्टेशन से गुजरती है तो उसकी आगे की लाइन क्लियर रहे, इसकी पहले से व्यवस्था की जाती है और आगे सभी स्टेशनों से आक्सीजन एक्सप्रेस को ग्रीन सिग्नल मिलते जाता है। जिसके कारण यह बिना रुके आगे बढ़ती रहती है। ट्रेन की सुरक्षा के लिए आरपीएफ भी तैनात :
आक्सीजन एक्सप्रेस की सुरक्षा के लिए आरपीएफ की एक टीम भी साथ जाती है। जो न सिर्फ ट्रेन पर नजर रखती है बल्कि बीच-बीच में आक्सीजन का प्रेशर चेक करने वाली टीम के सदस्यों को भी सुरक्षा प्रदान करती है। धनबाद रेल मंडल के आरपीएफ कमांडेंट हेमंत कुमार ने बताया कि ये लाइट लाइन है और इसमें कोई बाधा नहीं आए इसका ख्याल रखा जा रहा है। जीवन रक्षक के रुप में मानवीय भी है। क्या कहते हैं सीनियर डीसीएम :
धनबाद रेल मंडल के वरीय वाणिज्य प्रबंधक अखिलेश पांडेय ने बताया कि अप्रैल माह से आक्सीजन एक्सप्रेस धनबाद रेल मंडल के डीसी खंड और सीआइसी रेल खंड से होकर चल रही है। दोनों ओर से खाली और भर्ती 30 रैक का आवा गमन हो चुका है। सीआइसी खंड में टोरी मे गार्ड और ड्राइवर चेंज होते हैं और यह प्रक्रिया मात्र तीन मिनट में पूरी कर ली जा रही है। इंजन में किसी भी समस्या के त्वरित समाधान के लिए रहते है चीफ लोको इंस्पेक्टर। वहीं ट्रेन में न हो तकनीकी खराबी इसलिए हमेशा मौजूद रहते हैं मैकेनिकल विभाग की टीम। ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलती है। वहीं सिग्नल के लिए नहीं करना पड़ता है इंतजार।