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दुर्गम इलाके में बच्चों तक पहुंचा एकल विद्यालय

देश को बौद्धिक रूप से समृद्ध बनाने की दिशा में स्वामी विवेकानंद की सोच थी- यदि बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंचे तो स्कूल को बच्चों तक पहुंचना होगा। उनके इसी चितन को साकार करने के दिशा में निरंतर प्रयासरत है वनबंधु परिषद। वनबंधु परिषद के माध्यम से जिले के सुदूरवर्ती व दुर्गम क्षेत्रों में जहां शिक्षक जाना नहीं चाहते वहां बच्चों को संस्था के एकल विद्यालय के माध्यम से उसे पंचमुखी शिक्षा दी जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 06:37 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 06:37 PM (IST)
दुर्गम इलाके में बच्चों तक पहुंचा एकल विद्यालय
दुर्गम इलाके में बच्चों तक पहुंचा एकल विद्यालय

अनूप कुमार, कोडरमा: देश को बौद्धिक रूप से समृद्ध बनाने की दिशा में स्वामी विवेकानंद की सोच थी- यदि बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंचे, तो स्कूल को बच्चों तक पहुंचना होगा। वनबंधु परिषद उनके इसी चिंतन को साकार करने को निरंतर प्रयासरत है। वनबंधु परिषद के माध्यम से जिले के सुदूरवर्ती व दुर्गम क्षेत्रों में जहां, शिक्षक जाना नहीं चाहते, वहां बच्चों को संस्था के एकल विद्यालय के माध्यम से पंचमुखी शिक्षा दी जा रही है। जिलेभर में पिछले दो वर्षो से भी कम समय में परिषद ने 270 एकल विद्यालय खोले हैं। जो जिले के सुदूरवर्ती पंचायत, ढोढाकोला, पारहो, परसाबाद, नवलशाही, सतगांवा जैसे स्थानों पर संचालित हो रहे हैं। हर एकल विद्यालय में एक शिक्षक व बच्चों की संख्या करीब 30 होती है। बच्चे कक्षा 1 से 3 के होते हैं। गांव-टोले के ही किसी निर्धारित स्थान पर बच्चों को शिक्षा दी जाती है। इसमें पहला है प्राथमिक शिक्षा, दूसरा बच्चों में संस्कार प्रदान करना, तीसरा स्वास्थ्य जागरूकता, चौथा ग्रामीणों का कौशल विकास व पांचवां अहितकारों के प्रति जन जागरूकता है। ये सारे कार्यक्रम विद्यालय स्तर पर आचार्य, ग्रामस्तर पर ग्राम समिति, प्रखंड स्तर पर प्रखंड समिति, जिला स्तर पर जिला समिति एवं हर स्तर पर पूर्णकालिक कार्यकर्ता के माध्यम से संपन्न किए जाते हैं, जिनके ऊपर क्षेत्रीय समिति, प्रांतीय समिति एवं राष्ट्रीय समिति आती है। संस्था से जुड़े शिक्षक काफी कम मानदेय में ग्रामीण बच्चों को शिक्षा दान दे रहे हैं। ::::::::: क्या कहते हैं परिषद के जिलाध्यक्ष :::::::::::::::

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वनबंधु परिषद, एकल विद्यालय के कोडरमा जिलाध्यक्ष रामरतन महर्षि ने बताया कि एकल विद्यालय की शुरूआत धनबाद जिले के टुंडी प्रखंड के सनपुर गांव से वर्ष 1965 में हुई थी। एकल विद्यालय के जनक धनबाद के प्रसिद्ध व्यवसायी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक स्व. मदनलाल अग्रवाल थे। वनबंधु परिषद ने सकारात्मक प्रयासों के प्रभाव से वनवासी क्षेत्र में शिक्षा का प्रसार होने लगा है और बच्चों के जीवन स्तर पर इसका असर देखा जा रहा है। कोडरमा का सौभाग्य है कि यहां की जिला समिति के प्रमुख संरक्षक नवल दारूका हैं जो भारत लोक शिक्षा परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, जिनका मार्गदर्शन एवं सहयोग कोडरमा एकल परिवार को हमेशा प्राप्त होते रहता है। एकल अभियान का लक्ष्य है शिक्षित गांव, स्वस्थ गांव, संस्कारित गांव, जागरूक गांव एवं समर्थ गांव है। एकल अभियान ट्रस्ट के सेवाभाव से किए गए कार्यों के कारण पिछले दिनों संस्था को अंतर्राष्ट्रीय गांधी शांति पुरस्कार राष्ट्रपति रामनाथ कोविद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों प्राप्त हुआ, जो संस्था के लिए गर्व का विषय है।


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