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सामंती अकड़ कायम रखने के लिए बुलाया गया था बंद

एससीएसटी उत्पीड़न निवारण कानून और आरक्षण के खिलाफ सामंती शक्तियों द्वारा बुलाया गया भारत बंद को जनता का समर्थन नहीं मिला और बंद विफल हो गया। उक्त बयान दलित शोषण मुक्ति मंच (डीएसएमएम) के राज्य कमिटी सदस्य संजय पासवान ने दिया और कहा कि दलितों, महिलाओं, शोषितों, पीड़ितों की दावेदारी को बर्दाश्त करने के लिये तैयार नहीं हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 08:04 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 08:04 PM (IST)
सामंती अकड़ कायम रखने के लिए बुलाया गया था बंद

झुमरीतिलैया (कोडरमा): एससी-एसटी उत्पीड़न निवारण कानून और आरक्षण के खिलाफ सामंती शक्तियों द्वारा बुलाया गया भारत बंद को जनता का समर्थन नहीं मिला और बंद विफल हो गया। उक्त बयान दलित शोषण मुक्ति मंच (डीएसएमएम) के राज्य कमिटी सदस्य संजय पासवान ने दिया है। उन्होंने कहा है कि दलितों, महिलाओं, शोषितों, पीड़ितों की दावेदारी को बर्दाश्त करने के लिये तैयार नहीं हैं। वे करणी सेना, ब्रह्मर्षि सेना, सवर्ण सेना के नाम पर तलवार भांजने के लिये मैदान मे निकल आये हैं। हालांकि बेरोजगारी, मंहगाई से लेकर सभी के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य आदि ऐसे मसले हैं, जिसके लिये होने वाले संघर्ष में शामिल हों तो अपना भी और देश का भी भला करेंगे। उन्होंने कहा कि आरक्षण वंचित समुदायों पर एहसान नहीं है, संविधान में दर्ज उनसे किया गया वायदा है, जिसकी जड़ें गांधी और अम्बेडकर के 1932 मे हुए पूना पैक्ट में है। देश में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से नीचे है, दूसरी तरफ 50 प्रतिशत नौकरियों पर गैर आरक्षित वर्गों का ही लगभग कब्जा है।

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