कुहासे ने दिन में कराया रात का एहसास
चतरा: ठंड बढ़ रही है। कुहरे की घनी चादर बिछी हुई थी। कुहासा का आलम यह था कि कुछ दूरी की चीज भी नह
चतरा: ठंड बढ़ रही है। कुहरे की घनी चादर बिछी हुई थी। कुहासा का आलम यह था कि कुछ दूरी की चीज भी नहीं दिख रही है। घने कुहासे ने लोगों को दिन में रात का एहसास करा दिया। आलम यह था कि वाहनों को लाइट जलाकर सफर तय करना पड़ा। सोमवार को पौ फटने से पहले ही इस क्षेत्र ने कुहासे की रेशमी चादर ओढ़ ली थी। सुबह के सात बजे तक चारो ओर कुहासा का वर्चस्व कायम हो गया। कुहासा इतना गहरा था कि लोगों को दस फीट के बाद कुछ भी दिखाई नहंी पड़ रहा था। ऐसे में यात्री व माल ढोने वाले वाहन अपने गंतव्य स्थान तक जाने के लिए लाइट जलाकर सफर कर रहे थे। कुहासे की वजह से ठंड का प्रकोप भी कुछ ज्यादा ही नजर आया। खास कर स्कूल जाने वाले बच्चे ठंड में ठिठुरते दिखे। सुबह नौ बजे के बाद जब सूर्य की धूप धरती पर पड़ी तब जाकर लोगों को राहत मिली।