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शहद उत्पादन से जुड़ी तोरपा की महिला समिति बनाएंगी हनी चॉकलेट

खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड की बारकुली पंचायत की कसमार गांव की महिलाएं अब हनी चॉकलेट बनाएंगी। इसके लिए महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 May 2021 06:59 PM (IST)Updated: Thu, 20 May 2021 06:59 PM (IST)
शहद उत्पादन से जुड़ी तोरपा की महिला समिति बनाएंगी हनी चॉकलेट
शहद उत्पादन से जुड़ी तोरपा की महिला समिति बनाएंगी हनी चॉकलेट

तोरपा : खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड की बारकुली पंचायत की कसमार गांव की महिलाएं अब हनी चॉकलेट बनाएंगी। इसके लिए महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। खादी ग्रामोद्योग आयोग ने इन महिलाओं के लिए लॉकडाउन के बाद प्रोसेसिग प्लांट लगाने की योजना बनाई है। स्वरोजगार के जरिये स्वावलंबन की अनूठी दास्तां लिखने वाली कसमार की महिलाएं मिसाल बन रही हैं। खादी ग्रामोद्योग आयोग भारत सरकार के हेडेम एग्रोटेक प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड व स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने कोरोनाकाल में अपनी मेहनत के दम पर लाखों रुपये की नर्सरी तैयार कर रही है। दैनिक जागरण ने भी महिला सशक्तीकरण पर मुहिम चलाया है। मुहिम पर संज्ञान लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महिलाओं का हौसला बढ़ाया था। बारकुली पंचायत की कसमार गांव की 30 महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं। इसी वर्ष फरवरी माह में खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष विनय श्रीवास्तव ने कसमार आकर 30 महिलाओं के बीच मधुमक्खी पालन के लिए 300 बॉक्स का वितरण किया था। साथ में महिलाओं को स्वावलंबी बनने के लिए सबसे अच्छी किस्म की इटालियन मधुमक्खी भी दी गई थीं। समूह की महिलाओं ने अबतक लगभग ढाई क्विटल शहद का उत्पादन किया है। लॉकडाउन खत्म होते ही शहद को पैकिग कर स्थानीय बाजार में बेचने के लिए भेजा जाएगा। शहद की कीमत 300 रुपये किलो होगी। वहीं थोक के भाव में इसे डेढ़ से दो सौ रुपये किलो की दर से बेचा जाएगा।

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इन महिलाओं को खादी ग्रामोद्योग आयोग की ओर से प्रशिक्षण दिया गया था। आयोग के जोहर ग्राम विकास टेक्निकल स्टोर के अशोक कुमार ने महिलाओं को प्रशिक्षण दिया। अशोक ने बताया कि मधुमक्खी पालन कृषि आधारित व्यवसाय है। इस व्यवसाय को कोई भी व्यक्ति तीन सप्ताह तक कुशल प्रबंधन का प्रशिक्षण लेकर मधुमक्खी पालन का काम शुरू कर सकता है। इस क्षेत्र में रोजगार की आपार संभावनाएं हैं। बेरोजगार महिलाएं और युवाओं के लिए इस क्षेत्र में रोजगार के लिए सुनहरा अवसर है। मधुमक्खी पालन करने पर एक साथ शहद, मोम, प्रोपोलिस, रॉयल जैली विष प्राप्त कर भारी मुनाफा कमाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सबसे खुशी की बात है कि अब मधुमक्खी पालन की ओर महिलाओं का भी झुकाव हुआ है।

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एक से दूसरे स्थान भेजा जाता है बॉक्स

मौसम के हिसाब से विभिन्न जिलों में मधुमक्खियों के बॉक्स भेजकर हर साल हजार से बारह सौ क्विटल शहद एकत्रित किया जा रहा है। जहां मधुमक्खी पालन होता है, वहां फसलों में पराग कण की क्रिया तेजी से होती है और पैदावार भी 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। हेडेम एग्रोटेक प्रोड्यूसर कंपनी के डायरेक्टर लाभेश कुमार ने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में मधुमक्खियों के बॉक्स ले जाकर उन्हें विभिन्न स्थानों पर रखते हैं। मधुमक्खियों द्वारा इनमें शहद जुटाया जाता है। कसमार में महिलाएं लगभग 10 दिन मधुमक्खी का बॉक्स रखी थीं। जिसके बाद बॉक्स को ओरमांझी भेजा गया। जिसके बाद गोला जाएंगे जहां पराग, फिर लातेहार जाएंगे। यहां वनटूसी, इसके बाद छत्तीसगढ़ में सरगुजा, मध्यप्रदेश में सरसों व धनिया और बिहार में लीची के खेत में बॉक्स रखे जाएंगे। ऐसे करने से शहद में उत्पादन व गुणवत्ता बढ़ती है। जहां-जहां बॉक्स जाते हैं, वहां शहद को निकाल कर एक ड्रम में रखा जाता है। इसके बाद ड्रम को कसमार लाया जाता है।


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