Lok Sabha Polls 2019: यहां के ग्रामीणों को नहीं पता, कब है मतदान
Lok Sabha Polls 2019. अड़की प्रखंड के बीरबांकी पंचायत का बीरबांकी व कोचांग गांव। यहां के अधिकतर ग्रामीण पानी की कमी के कारण सही से खेती नहीं कर पाते हैं।
खूंटी, [दिवाकर श्रीवास्तव]। जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर अवस्थित है अड़की प्रखंड के बीरबांकी पंचायत का बीरबांकी व कोचांग गांव। 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इन गांवों का हाल जानने के लिए जागरण प्रतिनिधि यहां पहुंचा। मुरहू से बंदगांव होते हुए कोचांग तक पहुंचने के लिए लगभग 30 किमी जंगलों के बीच से गुजरना पड़ा। दोनों ओर दूर-दूर तक घने जंगल।
बीच से निकली जर्जर सड़क। पूरे रास्ते में इक्का-दुक्का लोग ही आते-जाते मिले। कोचांग पहुंचने पर पता चला कि साप्ताहिक हाट होने के कारण गांव के अधिकतर महिला-पुरुष बाजार जा चुके हैं। यहां के अधिकतर ग्रामीण पानी की कमी के कारण सही से खेती नहीं कर पाते हैं। ये इमली व महुआ की बिक्री पर आश्रित हैं। गांव के सुखराम मुंडा ने कहा कि गांव में बिजली के खंभे गाड़े गए हैं।
तार भी लगा दिया गया है, लेकिन अभी तक बिजली की आपूर्ति शुरू नहीं हुई है। मतदान के बारे में पूछे जाने पर कहा कि नहीं मालूम कब चुनाव होगा। वोट डालना है कि नहीं, इस सवाल पर कहते हैं कि अभी कुछ सोचा नहीं है। गांव में बैठक होगी, तो तय करेंगे। सांसद व विधायक के बारे में कहा कि ये लोग तो कभी गांव आते ही नहीं हैं। इसी गांव के इरशाद कहते हैं कि गांव में आज तक कोई नेता वोट मांगने नहीं आया।
फिर भी हम लोग वोट डालते हैं। सुन रहे हैं कि इस बार छह या सात मई को वोट पड़ेंगे। वोट तो डालना है लेकिन किसे, यह गांव में बैठक के बाद ही तय होगा। वहीं विजय मुंडू ने कहा कि गांव में पानी की बहुत बड़ी समस्या है लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है। सांसद या विधायक कोई गांव नहीं आता है। विजय मुंडू को भी नहीं पता था कि वोट कब पड़ेंगे, फिर भी वे वोट डालने को तैयार हैं।
मौके पर मौजूद सीता मुंडा ने कहा कि गांव की सबसे बड़ी समस्या पानी की है। गर्मी के दिनों में हमें एक-एक बूंद पानी के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। स्कूल में पुलिस का कैंप बन जाने के कारण बच्चों की पढ़ाई बरबाद हो रही है। सोमा सोय ने कहा कि स्कूल में पुलिस का कैंप है। इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित जरूर हुई है लेकिन पुलिस के रहने से गांव में शांति बनी हुई है।
हमें योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। घर-घर शौचालय बने हैं। अधिकतर लोगों को प्रधानमंत्री आवास मिला है, लेकिन निर्माण कार्य अभी अधूरा है। इसके बाद हम पहुंचे बीरबांकी गांव। यहां साप्ताहिक हाट लगी हुई है। सभी ग्रामीण खरीद-बिक्री में जुटे हुए हैं। यहां मुलाकात हुई पंचायत के मुखिया जवरा पाहन से। ये कहते हैं कि पंचायत में विकास कार्य हो रहे हैं।
बीरबांकी से कोचांग तक सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है और बीरबांकी से बंदगांव तक पक्की सड़क बन रही है। स्थानीय विधायक पांच साल में मात्र दो बार ही इस पंचायत में आए हैं। पंचायत में पिछले चार साल से एक अस्पताल चल रहा है लेकिन संसाधनों की कमी है। इसलिए मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पाता और उसे रेफर कर दिया जाता है। यहां नेटवर्क की बहुत बड़ी समस्या है।
एकमात्र बीएसएनएल का टावर है लेकिन वह भी तीन-चार किमी के एरिया में ही काम करता है। यदि यहां किसी और मोबाइल कंपनी का टावर लग जाए तो नेटवर्क की समस्या दूर हो सकती है। हम लोग लंबे समय से अलग प्रखंड की मांग कर रहे हैं। यदि बीरबांकी, कोचांग, बोहंडा, तिरला, तोडाग, मदहातु, तिनिला एवं बाडीनिजकेल गांव को मिलाकर अलग प्रखंड बना दिया जाए तो क्षेत्र का विकास तेज गति से होगा।