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बेड़ो का ऐतिहासिक डुकू तालाब गंदगी से पटा

लोगों की आस्था से जुड़े ऐतिहासिक डुकु तालाब की सुंदरता को ग्रहण लग गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 07:28 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 07:28 PM (IST)
बेड़ो का ऐतिहासिक डुकू तालाब गंदगी से पटा
बेड़ो का ऐतिहासिक डुकू तालाब गंदगी से पटा

बेड़ो : लोगों की आस्था से जुड़े ऐतिहासिक डुकु तालाब की सुंदरता को ग्रहण लग गया है। तालाब सुंदरीकरण व जीर्णोद्धार की आस में बदहाल हो गया है। इस ओर से प्रखंड प्रशासन व जनप्रतिनिधि आख, कान बंद किए हुए हैं। तीन वर्ष पूर्व छठ पूजा के पूर्व ही इसकी प्रखंड प्रशासन द्वारा सुंदरीकरण करने की बात कही गई थी। साथ ही तालाब का निरीक्षण कर बदहाली दूर करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अभी तक कोई पहल नहीं की गई। पूरा तालाब गंदगी से अटा पड़ा हुआ है और कचरा सड़ने से बदबू आ रही है। पानी प्रदूषित होकर हरा हो गया है। तालाब के किनारे प्लास्टिक व कचरे से भर गया है। दिनोदिन समस्या बढ़ती ही जा रही है। वर्षों पहले लाखों रुपये खर्च कर इस तालाब की आधी अधूरी सीढ़ी का निर्माण किया गया, लेकिन बदहाली दूर नहीं हुई। लोगों द्वारा हर दूसरे-तीसरे दिन तालाब किनारे कचरा फेंककर तालाब को गंदा कर दिया जाता है। गंदगी से संक्रामक बीमारी व महामारी फैलने की आशका है।

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धार्मिक महत्व वाला है तालाब

यह पौराणिक व धार्मिक महत्व वाला यह तालाब आज अपना अस्तित्व खोने की कगार पर पहुंच गया है। लगातार उपेक्षाओं के कारण तालाब के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। तालाब के उचित रखरखाव के अभाव में इसकी जलसंचय क्षमता का भी लगातार ह्रास हो रहा है। डुकु छठ तालाब का इतिहास वर्षों पुराना है। इस तालाब से लोगों की आस्था जुड़ी है। धार्मिक दृष्टिकोण से भी यह तालाब काफी महत्वपूर्ण है। क्षेत्र के लोगों का श्राद्ध से लेकर पूजा-पाठ का कार्यक्रम इसी से होता है। ग्रामीणों का कहना है कि तालाब का पानी दूषित होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान समय में इसे बचाने की आवश्यकता है। इसके चारों ओर गंदगी है। इससे तालाब का पानी दूषित हो चुका है। इसको बचाना है, तो इसका सुंदरीकरण अति आवश्यक है। लोगों का कहना है कि इस तालाब के पानी से लोग खाना बनाते व पीते थे। पर, समय जैसे-जैसे गुजरता गया वैसे-वैसे तालाब का पानी दूषित होता चला गया। आज भी दर्जनों लोग नहाने व कपड़ा धोने का काम इसी तालाब से कर रहे हैं। इसके बावजूद सरकार व जनप्रतिनिधियों द्वारा इसके रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। तालाब बचाने को लेकर प्रबुद्ध समाजसेवियों, प्रशासनिक पदाधिकारियों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, विधायक व सासद की उदासीनता के कारण उपेक्षा का दंश झेल रहा है।


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