Lok Sabha Election 2019: जीत चाहे किसी की हो, हार तो भोलेनाथ की ही होगी
Lok Sabha Election 2019. रणक्षेत्र में भगवान नीलकंठ अक्सर धर्मसंकट में पड़ जाते हैं। लड़ाई करने वाला दोनों ही पक्ष उनका अपना ही होता है। अब समझ में नहीं आता कि किसका साथ दें।
खूंटी, जागरण संवाददाता। रणक्षेत्र में नीले कंठ वाले भगवान भोलेनाथ अक्सर धर्मसंकट में पड़ जाते हैं। लड़ाई करने वाला दोनों ही पक्ष उनका अपना ही होता है। अब समझ में नहीं आता कि खुलकर किसका साथ दें। त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम राम एवं रावण के बीच युद्ध हुआ।
एक तरफ महादेव के आराध्य श्रीराम स्वयं मैदान में थे। दूसरी ओर भोलेनाथ के ही परम भक्त रावण। रावण को जो भी वरदान मिला था, वह नीलकंठ भगवान से ही मिला था। कहते हैं भक्त भगवान के सबसे प्रिय होते हैं। भक्त की पराजय से निश्चित तौर पर भगवान को दुख हुआ होगा।
देव-दानव की लड़ाई में ज्यादातर दानवों ने अस्त्र एवं आशीर्वाद भगवान भोलेनाथ से ही हासिल किए थे। अर्थात् दोनों ही पक्ष से उनके ही लोग लड़ रहे थे। खूंटी के रणक्षेत्र में भी भगवान नील कंठ धर्मसंकट में हैं। एक ओर भ्राताश्री हैं तो दूसरी ओर दल की मर्यादा।
भ्राताश्री की जीत होती है तो दल में भोलेनाथ की छवि पर असर पड़ेगा। परिणाम दूरगामी होगा। दूसरी ओर दल के महान धनुर्धर जीतते हैं तो भ्राताश्री घर बैठ जाएंगे। संकट गहरा गया है। लेकिन इतना तो तय है कि इस लड़ाई में जीत चाहे किसी की हो, हार तो भोलेनाथ की ही होगी।