Lok Sabha Polls 2019: भ्रष्ट नेताओं के चुनाव लडऩे पर लगे रोक
Lok Sabha Polls 2019. चुनावी मूड भांपने के लिए दैनिक जागरण ने बस यात्रियों के साथ सफर किया। इस दौरान यात्रियों ने कहा कि भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बनाना चाहिए।
तोरपा, [सुनील सोनी]। चुनावी माहौल में हर ओर हवा सियासी है। चौपाल से चौराहे तक, रेल से बस तक चर्चा चुनावी ही है। तापमान के साथ-साथ चुनावी पारा भी बढऩे लगा है। दैनिक जागरण ने शुक्रवार को मतदाताओं के चुनावी मूड को भांपने की कोशिश की।
तोरपा संवाददाता ने रनियां से रांची जा रही यात्री बस में तोरपा से आंगराबड़ी तक सफर किया और यात्रियों के चुनावी बहस में हिस्सा लिया। यात्रियों के बीच लोकसभा चुनाव की चर्चा छिड़ी है। कुछ यात्रियों का कहना है कि सरकार एवं नेताओं को सिर्फ वोट के समय ही जनता याद आती है।
चुनाव में भ्रष्टचार हो मुद्दाएक यात्री ने तंज कसते हुए कहा, नेताओं को तो अपनी सीट से मतलब है। जनता की सीट चाहे फटी ही क्यों न हो। धीरे-धीरे चुनावी चर्चा में गर्माहट आने लगी। खूंटी निवासी कमलेश कुमार ने कहा, आप लोग हमारी बातों को क्या नेताओं तक पहुंचा देंगे। सबसे पहले तो चुनाव में भ्रष्टचार मुद्दा होना चाहिए। भ्रष्ट नेताओं के चुनाव लडऩे और प्रचार करने पर पाबंदी होनी चाहिए।
सरकार को एक बार फिर मौका मिलना चाहिए
इसी बीच बस में सफर कर रही लापुंग की 60 वर्षीया भारती सिंह ने कहा कि देश में एक बार फिर सरकार रिपीट होनी चाहिए। साथ ही देश में सारे भ्रष्ट नेताओं को जेल में डाल देना चाहिए। अगर वाकई अच्छी सरकार बनानी है तो देश में नेता से लेकर सरकारी दफ्तरों तक भ्रष्टचार खत्म करना होगा। हम तो यही सोचकर वोट डालते हैं कि अब सब ठीक हो जाएगा, मगर परिणाम वैसा नहीं आता।
चुनाव जनसमस्याओं पर हो
जैसे ही भारती सिंह ने अपनी बात खत्म की, तो मरचा के मनोहर टोपनो ने देश में सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए विकास योजनाएं चलाने की जरूरत बताई। कहा, अभी खूंटी लोकसभा में शिक्षा एक बड़ा मुद्दा है। शिक्षा का स्तर बहुत ही निम्न है। लोग अभी भी अपने बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं दिला पा रहे हैं। उसका कारण यह है कि अभिभावकों के पास उतने पैसे नहीं हो पाते कि अपने बच्चों को बड़े संस्थान में पढ़ा सकें।
वोट के बाद जनता भुला दी जाती है
सबसे पिछली सीट पर बैठीं एक बुजुर्ग महिला उर्सेला सांगा से चुनाव के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि मुझे नहीं करनी बात। कोई भी सरकार आए या जाए, हमें क्या फर्क पड़ता है? सब सरकार अपने खजाने भरती है। देश की जनता कैसे रह रही है, उसका ख्याल रखने वाला कोई नहीं है। वोट के समय वादे तो सब करते हैं लेकिन वोट हो जाने के बाद जनता को भुला दिया जाता है।