पत्थलगड़ी से ग्र्रामीणों का मोहभंग, खुद गिरा रहे संविधान की गलत व्याख्या वाले पत्थर
खूंटी के सिलादोन पंचायत के चितराम गांव में विधि-विधान के साथ पत्थर को हटाए जाने के साथ इसकी शुरुआत हो गई है।
खूंटी, जेएनएन। दो साल से पत्थलगड़ी के नाम पर उकसाए-भड़काए जा रहे ग्रामीणों ने लगता है अब इसकी हकीकत समझ ली है। यही वजह है कि संविधान की धाराओं की गलत व्याख्या वाले पत्थरों को हटाने में अब खुद ग्र्रामीण ही जुट गए हैं। खूंटी प्रखंड के कई गावों में गुरुवार को ग्राम सभा के बाद पत्थर गिराने का कार्यक्रम हुआ। जिला प्रशासन की पहल पर पहली बार संविधान विरोधी पत्थर गिराए जा रहे हैं। पत्थर गिराने से पहले ग्र्रामीण विधि-विधान से इन पत्थरों की पूजा भी कर रहे हैं। खूंटी के सिलादोन पंचायत के चितराम गांव में विधि-विधान के साथ पत्थर को हटाए जाने के साथ इसकी शुरुआत हो गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि वह अब विकास की मुख्य धारा से जुडऩा चाहते हैं। पिछले दिनों कुछ स्वयंभू नेताओं ने उन्हें पत्थलगड़ी के नाम पर पुलिस-प्रशासन और सरकार के खिलाफ उकसाया था और गांव में पत्थलगड़ी कर सरकार की कोई भी योजना लेने से मना कर दिया था। बगैर ग्रामसभा की अनुमति से कोई सरकार की योजना लेने की हिम्मत भी करता तो उसे फाइन देना पड़ता था। ग्रामसभा में ग्राम प्रधान भी स्वयंभू नेता के ही लोग होते थे। इस बीच ऐसे कई मौके आए जब पत्थलगड़ी समर्थकों ने कानून हाथ में ले लिया था। खूंटी में जहां डीसी-एसपी समेत कई अधिकारी बंधक बना लिए गए वहीं बच्चों के मन में भी सरकार और व्यवस्था के प्रति जहर बोया जाने लगा।
सांसद कडिय़ा मुंडा के घर पर हमला कर वहां से चार अंगरक्षकों को अगवा कर लेने व कोचांग में नुक्कड़ नाटक करने गई पांच आदिवासी युवतियों के साथ पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा दुष्कर्म किए जाने के बाद पुलिस-प्रशासन और सरकार ने भी पत्थलगड़ी के नेताओं और समर्थकों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई शुरू कर दी। इसके बाद देखते ही देखते यह आंदोलन हवा हो गया। साथ ही कल तक ताल ठोंककर सरकार को चुनौती देनेवाले नेता भी भूमिगत हो गए। इन नेताओं में कुछ दुष्कर्म मामले में भी आरोपित हैं। इस बीच ग्र्रामीणों को भी जागरूक करने का काम हुआ। इसके बाद ग्र्रामीणों का भी उनसे मोहभंग हुआ।
क्या है पूरा मामला
पिछले कुछ महीनों से शासन-प्रशासन को लगातार चुनौती देकर पत्थलगड़ी नाम की एक परंपरा के नाम पर कुछ नेता खूंटी और आसपास के इलाकों में ग्र्रामीणों को शासन-प्रशासन और पुलिस के खिलाफ भड़का रहे थे। पत्थलगड़ी में गांव की सीमाओं पर पत्थर गाड़े जाते हैं। पत्थलगड़ी के नेता और समर्थक इन पत्थरों पर संविधान की गलत व्याख्या लिखते थे, जिसमें पुलिस-प्रशासन और कानून से खुद को ऊपर बताते हुए कानून हाथ में लेकर समानांतर सत्ता चलाने की बातें होती थीं।
एक-दो बार पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों को पत्थलगड़ी समर्थकों ने बंधक भी बना लिया था। सरकार की ओर से इसके खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा था। ग्रामीणों को पत्थलगड़ी मामले पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से भी जागरूक किया जा रहा था। इसी सिलसिले में खूंटी में कार्यरत एक स्वयंसेवी संस्था आशा किरण के कलाकारों की टीम 19 जून को खूंटी जिले के अड़की थाना क्षेत्र के कोचांग गांव गई थी।
कोचांग गांव खूंटी जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर है। टीम में 11 लोग शामिल थे। इस दौरान मोटरसाइकिल से पहुंचे कुछ लोग बंदूक की नोंक पर पांच आदिवासी युवतियों का अगवा कर जंगल ले गए, जहां उनके साथ दुष्कर्म किया गया। इस मामले में पत्थलगड़ी के नेता और उनके समर्थक आरोपित हैं। कुल 11 लोगों को इस मामले में नामजद किया गया था, जिनमें अबतक पांच की गिरफ्तारी हो चुकी है। इससे पहले पत्थलगड़ी समर्थकों ने सांसद कडिय़ा मुंडा के आवास पर धावा बोल कर उनके चार गार्ड को अगवा कर लिया था। बाद में पुलिस ने सभी को मुक्त करा लिया था।