सोशल मीडिया में वायरल हुए पौलुस सुरीन
दो बार तोरपा विधान सभा सीट से झामुमो के टिकट पर विधायक रहे पौलुस सुरीन इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं।
तोरपा : दो बार तोरपा विधान सभा सीट से झामुमो के टिकट पर विधायक रहे पौलुस सुरीन इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। चुनाव में उनका मुकाबला भाजपा के कोचे मुंडा एवं झामुमो के सुदीप गुड़िया से है। मतदान समाप्त होने के बाद उनकी एक फोटो सोशल मीडिया में काफी वायरल हो रही है, जिसमें वे आंखों में पट्टी बांधकर लक्ष्य साधते नजर आ रहे हैं।
फोटो को देखकर ऐसा लग रहा है कि यह फोटो किसी समारोह में घड़ा फोड़ प्रतियोगिता की है, जिसमें वे अतिथि रहे होंगे। आंखों में पट्टी बांधे पौलुस सुरीन की फोटो को लेकर सोशल मीडिया में काफी चर्चा है। लोग कह रहे हैं कि इस बार झामुमो ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वे बौखला गए और आंखों में पट्टी बांधकर बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में कूद पड़े। हालांकि, बाद में उन्हें झापा होरो गुट का समर्थन मिला। नामांकन से एक सप्ताह पहले तक पौलुस सुरीन और झामुमो कार्यकर्ता गांवों में जाकर तीर धनुष छाप में वोट देने की अपील करते रहे थे। लेकिन, जब उनका टिकट कटा तो वे बतौर निर्दलीय उम्मीदवार उन्हें हॉकी और बॉल चुनाव चिह्न मिला। इसका परिणाम यह हुआ कि लोगों ने पौलुस सुरीन के नाम पर वोट तो दिया, लेकिन तीर धनुष छाप पर, जो कि झामुमो उम्मीदवार सुदीप गुड़िया का चुनाव चिह्न है। पौलुस सुरीन खुद स्वीकार करते हैं कि उन्होंने दस साल तक तोरपा विधानसभा क्षेत्र में काफी मेहनत की थी और झामुमो को फिर से तोरपा ही नहीं, खूंटी लोकसभा क्षेत्र में काफी मजबूती दी। तीर धनुष लोगों के दिलो दिमाग पर बैठ गया था। इस चुनाव में उनकी जीत सुनिश्चित थी, पर हेमंत सोरेन ने एक साजिश के तहत उनका टिकट काट दिया। चुनाव चिह्न बदलने का नुकसान उन्हें उठाना पड़ा। नामांकन के बाद दस-बारह दिनों तक जिस तरह समर्थकों की भीड़ उनके इर्द-गिर्द उमड़ती थी, उसे देखकर आम राय बन गई थी कि इस बार भी उनकी सीधी भिड़ंत भाजपा के कोचे मुंडा से होगी और संभवत: वे जीत की हैट्रिक लगाने में सफल हो जाएंगे। अब यह तो 23 दिसंबर को ही पता चलेगा कि आंखों में पट्टी बांधकर लगाया गया उनका निशाना लक्ष्य को भेद पाता है या कि नहीं।