समाज को आईना दिखा रहीं मोती देवी
Moti devi. पांच बेटों वाला भरा-पूरा परिवार होने के बावजूद ये 80 वर्ष की उम्र में भी किसी पर आश्रित नहीं हैं बल्कि समय-समय पर उनकी मदद ही करती हैं।
खूंटी। यदि दृढ़ इच्छाशक्ति और स्वाभिमान की ठसक हो तो उम्र भी बाधक नहीं बन सकती है। कुछ ऐसी ही मिसाल पेश कर रही हैं मुरहू प्रखंड के गोराटोली पंचायत अंतर्गत ग्राम सुकंदा निवासी मोती देवी। पांच बेटों वाला भरा-पूरा परिवार होने के बावजूद ये 80 वर्ष की उम्र में भी किसी पर आश्रित नहीं हैं, बल्कि समय-समय पर उनकी मदद ही करती हैं।
खुद्दारी तो मोती देवी में इतनी है कि उन्होंने सरकार द्वारा मिलने वाली वृद्धा व विधवा पेंशन लेना स्वीकार नहीं किया। वे कहती हैं कि भगवान मेरे हाथ-पैर सुरक्षित रखे तो मुझे किसी सरकारी सुविधा की दरकार नहीं। मोती देवी के पति राशन डीलर थे। उनकी मौत 25 वर्ष पूर्व ब्लड कैंसर से हो गई थी। बड़ा बेटा उस समय बीए में पढ़ रहा था और बाकी बच्चे छोटे थे। इसलिए उनके लालन-पालन की जिम्मेदारी मोती देवी पर आ गई। उन्होंने परिवार चलाने के लिए एक गाय खरीदी और उसका दूध बेचना शुरू किया। साथ ही, पति द्वारा छोड़ी गई जमीन पर सब्जी उगाना शुरू किया। धीरे-धीरे गायों की संख्या बढ़ती गई और उनका दूध का व्यवसाय चल पड़ा।
मोती देवी ने बताया कि आज वे दूध बेचकर करीब एक लाख रुपये की आमदनी कर लेती हैं। साथ ही, सब्जी उत्पादन से भी काफी आमदनी हो जाती है। गायों की देखरेख में वे परिवार के किसी भी सदस्य की मदद नहीं लेती हैं। उन्होंने कहा कि जब ईश्वर ने उनके पति को उनसे छीन लिया तो उसी वक्त फैसला कर लिया था कि किसी का आश्रित बनकर नहीं जीना है।
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