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सफेद हाथी साबित हो रही केनबांकी की जलमीनार, दो वर्ष बाद भी नहीं मिला पानी

रनिया प्रखंड के खटखुरा पंचायत के केनबांकी गांव में दो वर्ष पूर्व बनाया गया जलमीनार सफेद हाथी साबित हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Nov 2021 10:52 PM (IST)Updated: Sat, 20 Nov 2021 10:52 PM (IST)
सफेद हाथी साबित हो रही केनबांकी की जलमीनार, दो वर्ष बाद भी नहीं मिला पानी
सफेद हाथी साबित हो रही केनबांकी की जलमीनार, दो वर्ष बाद भी नहीं मिला पानी

रनिया : रनिया प्रखंड के खटखुरा पंचायत के केनबांकी गांव में दो वर्ष पूर्व बनाई गई जलमीनार सफेद हाथी साबित हो रही है। पेयजल संकट से राहत के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा चार हजार लीटर क्षमता वाला जलमीनार का निर्माण कराया गया था। एक वर्ष पूर्व गांव में घर-घर नल भी लगाया गया। लेकिन जलमीनार से अभी तक पानी की आपूर्ति नहीं किया जा सका है। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत भी किया, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। रनिया प्रखंड मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर की दूर खटखुरा पंचायत के कैनबांकी में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा चार हजार लीटर क्षमता वाला जल मीनार का निर्माण कार्य दो वर्ष पूर्व कराया गया था। निर्माण कार्य पूर्ण होने पर कैनबांकी गांव के लगभग दो सौ घरों तक नल कनेक्शन लगाने के बाद भी ग्रामीणों को नल से जल नहीं मिल सका। जिसके कारण गांव के लोग कुआं का दूषित पानी पीने पर मजबूर हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गर्मी के दिनों में पेयजल की समस्या विकट रूप धारण कर लेता है। कुआं का जलस्तर नीचे चले जाने के कारण लोग परेशान रहते हैं। केनबांकी गांव पश्चिम सिंहभूम व सिमडेगा जिले से सटा खूंटी जिले का सीमावर्ती गांव है। नक्सलवाद व उग्रवाद का दंश झेलकर उबर रहे खटखुरा पंचायत के केनबांकी गांव में अन्य बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। ग्रामीणों का कहना है कि लाखों रुपये खर्च करने के वावजूद इसका फायदा आम लोगों को नही मिलना सरकार एवं प्रशासन की विफलता है। ग्रामसभा के माध्यम से इसकी शिकायत विभाग व जनप्रतिनिधियों से कई बार किया गया, लेकिन नतीजा शून्य रहा। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से अबिलंब जलमीनार को चालू करने की मांग किया है।

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दो वर्ष पूर्व बने जल मीनार से लोगों के घरों तक नल से जल पहुंचाने की योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिला। जिसके कारण लोग कुआं का पानी पी रहे हैं। कुआं का पानी पीने से अक्सर गांव के लोगों को उल्टी दस्त जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है।

- छोटका ओहदार, कैनबांकी

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गांव में पेयजल की समस्या को विभाग दूर नहीं कर सकी, जिससे पदाधिकारियों की कार्यशैली का पता चल रहा है। सुबह होते ही गांव के चापाकल में लोगों की लाइन पानी भरने के लिए लग जाती है।दो वर्ष पूर्व बने जल मीनार से ग्रामीणों को बहुत उम्मीद थी।

- अनीता देवी, कैनबांकी

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जल मीनार से अबतक पानी की बूंदे किसी के घर तक नहीं पहुंची। जिसके कारण सुबह होते ही लोग परेशान रहते हैं। उन्होंने कहा हमारी आवश्यकता को पूर्ण करने में कोई भी जनप्रतिनिधि आगे नहीं आया। लोगों ने कई बार मुखिया को मामले की जानकारी दिया। लेकिन कुछ नहीं हुआ।

- मुन्नी देवी, कैनबांकी


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