Lok Sabha Polls 2019: काम ठीक हो रहा है, बस छउआ सब के रोजगार मिल जाता
Lok Sabha Polls 2019. सुकरो काफी बूढ़े हो चुके हैं। मुर्गे-मुर्गियों का कुनबा समीप ही मंडरा रहा है। मुफ्त में गैस कनेक्शन व शौचालय मिला है। लेकिन वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिल रहा।
खूंटी, [कंचन कुमार]। जिला मुख्यालय से लगभग पांच किलोमीटर दूर बगड़ू गांव। दोपहर में दिन काफी तप रहा है। सुकरो भेंगरा अपनी पत्नी के साथ मड़ईनुमा घर में बैठे हैं। पास में कई बकरियां बंधी हैं। मुर्गे-मुर्गियों का कुनबा भी उनके समीप ही मंडरा रहा है। सुकरो काफी बूढ़े हो चुके हैं। इधर-उधर बहुत भागदौड़ नहीं कर सकते लेकिन सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी रखते हैं।
कहते हैं, सरकार की ओर से मुफ्त में गैस कनेक्शन एवं शौचालय मिला है। आयुष्मान कार्ड भी बना है लेकिन वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिल रहा है। मैंने उनसे पूछा, आपने इसके लिए आवेदन दिया है। कहा, नाम लिखवा दिया है बाबू। नहीं पता चल रहा कि क्या हुआ? लेकिन हम छोडऩे वाले नहीं। लड़कर लेंगे। यह हमारा हक है। सुविधा सरकार दे रही है। कोई अपनी जेब से थोड़े ही देता है।
मैं कुछ आगे बढ़ा। मेरी मुलाकात अशोक राम की मां से हुई। अपने घर के पास ही बैठी थीं। कहा, गांव में 15-20 प्रधानमंत्री आवास बन चुके हैं। मैंने भी नाम लिखवाया है। अभी मिला नहीं है। गैस कनेक्शन एवं शौचालय मिल चुका है। उन्होंने सरकार द्वारा महिलाओं एवं लड़कियों के लिए चलाई जा रही योजनाएं गिनाईं। कहा- काम ठीक हो रहा है। बस, छउआ सब के रोजी-रोजगार मिल जाता तो ज्यादा अच्छा था।
गांव में एक पेड़ के नीचे काफी संख्या में महिलाएं बैठी हैं। वोट पर ही चर्चा हो रही है। एक महिला कहती है, बहुत लोग वोट के बारे में समझाने आते हैं लेकिन उनके कहने पर हम लोग थोड़े ही वोट देंगे। पहले काम पूछेंगे, फिर सोचेंगे। हरिहर महतो की आर्थिक हालत ठीक-ठाक है। मुझे देखते ही बैठने के लिए मोढ़ा (स्टूलनुमा मचिया) दिया। कहा, सरकार का ध्यान रोड, पुल-पुलिया एवं अन्य योजनाओं पर है।
काम भी हुआ है लेकिन क्षेत्र में सिंचाई एवं युवाओं के रोजगार के साधन उपलब्ध हो जाते तो क्षेत्र में खुशहाली आ जाती। शहर से सटा होने के कारण गांव में सड़क बनी है। गली-गली में बिजली एवं सोलर लाइट की भी व्यवस्था है। गांव वालों का मुख्य पेशा खेती, पशुपालन एवं मजदूरी है। सिंचाई के साधन नहीं होने के कारण सीजन में सिर्फ धान की फसल होती है। इसके बाद कमाने के लिए लोग शहर का रुख करते हैं।
गांव से बाहर निकलने पर झाडिय़ों के बीच कुछ वृद्ध दिखे। बकरियां एवं गाय चराने में मग्न थे। मुझे देखते ही समीप आ गए। उन्हें लगा, मैं झाडिय़ों के बीच रास्ता भटक गया हूं। मैंने आने का मकसद बताया। इसके बाद उन्होंने गांव में चल रही केंद्रीय योजनाओं एवं राजनीतिक गतिविधियों पर खुलकर बातें कीं। बगड़ू निवासी हरिहर राम ने कहा, मैं जरूरतमंद हूं।
मुझे पीएम आवास नहीं मिला है। इसका मतलब यह नहीं कि काम ही नहीं हो रहा। हमें संकीर्ण सोच नहीं रखनी चाहिए। आशावादी एवं सकारात्मक बनना चाहिए। समय पर सब कुछ सही हो जाएगा। उनके साथ राम महतो भी मवेशी चरा रहे हैं। उन्हें आवास एवं उज्ज्वला योजना का लाभ मिल चुका है।