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बारिश में दूसरी बार बही कुट्टीबेड़ा व जिलिगबुरू को जोड़ने वाली पक्की सड़क

खूंटी जिला अंतर्गत तोरपा प्रखंड के अंतिम छोर पश्चिमी सिंहभूम जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में हुसीर पंचायत के कुट्टीबेड़ा व जिलिगबुरू को जोड़ने वाली पक्की सड़क तेज बारिश में रविवार को दूसरी बार बह गई। वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनी चार किलोमीटर लंबी सड़क का उक्त हिस्सा तेज बारिश के बाद 24 अगस्त को पहली बार बह गया था।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 10:25 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 10:25 PM (IST)
बारिश में दूसरी बार बही कुट्टीबेड़ा व जिलिगबुरू को जोड़ने वाली पक्की सड़क
बारिश में दूसरी बार बही कुट्टीबेड़ा व जिलिगबुरू को जोड़ने वाली पक्की सड़क

संवाद सूत्र, तोरपा (खूंटी) : खूंटी जिला अंतर्गत तोरपा प्रखंड के अंतिम छोर पश्चिमी सिंहभूम जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में हुसीर पंचायत के कुट्टीबेड़ा व जिलिगबुरू को जोड़ने वाली पक्की सड़क तेज बारिश में रविवार को दूसरी बार बह गई। वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनी चार किलोमीटर लंबी सड़क का उक्त हिस्सा तेज बारिश के बाद 24 अगस्त को पहली बार बह गया था। सड़क के बह जाने के कारण ग्रामीणों का संपर्क प्रखंड मुख्यालय समेत बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट गया था। आवागमन में हो रही परेशानी को देखते हुए ग्रामीणों ने सड़क की मरम्मत के लिए संबंधित विभाग से गुहार लगाई। प्रशासनिक स्तर पर किसी प्रकार का सकारात्मक पहल नहीं होता देख ग्रामीणों ने चंदा कर राशि जुटाई। ग्रामीणों ने बैठक कर श्रमदान से सड़क की मरम्मत करने का बीड़ा उठाया और समीप के पहाड़ से पत्थर तोड़ कर सड़क की मरम्मत के काम में जुट गए। कई दिनों के कड़ी मेहनत-मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने पत्थर व मिट्टी डालकर सड़क को आवागमन के लायक बनाया। वहीं, पिछले दिनों से हो रही बारिश के बाद रविवार को सड़क का उक्त हिस्सा एक बार फिर पानी की तेज बहाव में बह गया। सड़क के बह जाने के बाद ग्रामीणों को एक बार फिर आवागमन में परेशानी होने लगी। उससे पार होना मुश्किल हो गया है। ऐसे में इन गांव के ग्रामीण प्रखंड क्षेत्र से पूरी तरह से कट गए। प्रखंड मुख्यालय आने वाला एकमात्र यही रास्ता होने के कारण ग्रामीणों के समक्ष बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है।

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जहां जरूरत नहीं वहां बना दिया गया है कलवर्ट

सड़क की मरम्मत करने वाले ग्रामीणों ने बताया कि जहां सड़क बह गई है, वहां पहले से जलजमाव होता रहा है। सड़क निर्माण के समय यहां पर पानी निकासी के लिए कलवर्ट या पुलिया बनाना था। लेकिन संबंधित अभियंता व संवेदक द्वारा यहां पर कलवर्ट न बनाकर ऐसे जगह पर कलवर्ट बना दिया, जहां उसकी जरूरत नहीं थी। श्रमदान करने वाले ग्रामीण जीवन सोय ने बताया कि सड़क मरम्मत के दौरान 13 ट्रैक्टर मोरम और 13 ट्रैक्टर पत्थर लगा था। 40 ग्रामीणों ने पांच दिनों तक श्रमदान कर सड़क को चलने लायक बनाया था। इस दौरान संवेदक का मुंशी आए थे और काम देखकर वापस चले गए थे। संवेदक की ओर से मरम्मत के दौरान किसी प्रकार का कोई सहयोग नहीं किया गया था। कुट्टीबेड़ा व जिलिगबुरु गांव के ग्रामीणों को एक वर्ष पूर्व तब खुशी मिली थी, जब गांव तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पक्की सड़क का निर्माण हुआ था। पक्की सड़क के अभाव में वर्षों से परेशानी झेल रहे इन गांव वालों को पक्की सड़क बन जाने से नई उम्मीद जगी थी। लेकिन इस बरसात हुई बारिश से गांव से पूर्व एक जगह सड़क का बड़ा हिस्सा पूरी तरह से बह जाने के बाद ग्रामीणों की खुशी परेशानी में बदल गई है।

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रैयती जमीन होने के कारण नहीं बना कलवर्ट

उक्त सड़क का निर्माण जेके इंटरप्राइजेज ने कराया था। सड़क का निर्माण लागत कितनी थी इसकी जानकारी विभाग के कनीय अभियंता ईश्वर उरांव को नहीं है। इस संबंध में कनीय अभियंता ने बताया कि एक ही स्थान पर दूसरी बार जलजमाव होने के कारण सड़क बह गई है। सड़क को दुरुस्त कराने के लिए संवेदक को कहा गया है। सड़क का मेंटेनेंस कार्य संवेदक को करना है। उन्होंने बताया कि जिस स्थान पर सड़क बह गया है उसके दोनों ओर रैयती जमीन है। इस कारण वहां कलवर्ट न बनकर थोड़ा दूर हटकर तीन मीटर चौड़ाई का कलवर्ट बना है। सड़क पर कहीं भी गार्डवाल नहीं है। उन्होंने बताया कि संवेदक को गार्डवाल बनाने के लिए भी कहा गया है। उन्होंने बताया कि पहली बार सड़क के बह जाने के बाद संवेदक ने उक्त मोरम डालकर सड़क को चलने लायक बना दिया था।


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