खूंटी में 'हाथ' ने छिपाया 'तीर-धनुष'
खूंटी खूंटी सीट के लिए लोकसभा चुनाव में ईवीएम से तीर-धनुष गायब रहेगा। हाथ ने ही तीर-धनुष को पांच वर्षों के लिए छिपा रखा है। दरअसल महागठबंधन के दलों के बीच हुए समझौते में खूंटी सीट कांग्रेस पार्टी को मिली। कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा ने नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया है। स्क्रूटनी 20 अप्रैल को है। सब कुछ सही रहा तो ईवीएम में हाथ तो नजर आएगा लेकिन झामुमो का तीर-धनुष नहीं दिखेगा। किसी भी प्रत्याशी ने तीर-धनुष सिबल के लिए दावा नहीं किया है।
खूंटी : खूंटी सीट के लिए लोकसभा चुनाव में ईवीएम से 'तीर-धनुष' गायब रहेगा। 'हाथ' ने ही 'तीर-धनुष' को पांच वर्षों के लिए छिपा रखा है। दरअसल महागठबंधन के दलों के बीच हुए समझौते में खूंटी सीट कांग्रेस पार्टी को मिली।
कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा ने नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया है। स्क्रूटनी 20 अप्रैल को है। सब कुछ सही रहा तो ईवीएम में हाथ तो नजर आएगा, लेकिन झामुमो का 'तीर-धनुष' नहीं दिखेगा। किसी भी प्रत्याशी ने तीर-धनुष सिबल के लिए दावा नहीं किया है। उधर, झाविमो की 'कंघी' को भी हाथ ने ही छिपा रखा है। यह भी ईवीएम से गायब रहेगी। लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले विधानसभाओं पर नजर दौड़ाई जाए तो झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस से मजबूत दिखता है। इस दल के दो विधायक हैं। खरसावां सीट से झामुमो के दशरथ गगराई विधायक हैं। वहीं, तोरपा सीट पर भी झामुमो का ही कब्जा है। एकमात्र सीट कोलेबिरा कांग्रेस के पास है। उपचुनाव में नमन विक्सल कोनगाड़ी कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए हैं।
दोनों राष्ट्रीय दलों की स्थिति देखी जाए तो दो सीट खूंटी एवं सिमडेगा भाजपा के कब्जे में है। खूंटी से नीलकंठ सिंह मुंडा एवं सिमडेगा से बिमला प्रधान विधायक हैं। वहीं कांग्रेस महागठबंधन के पास तीन सीटें- कोलेबिरा, खरसावां एवं तोरपा है। एक सीट आजसू के टिकट पर जीते तमाड़ विधायक की स्थिति स्पष्ट नहीं है। वहीं, तोरपा विधायक भी अभी महागठबंधन से कटे-कटे नजर आ रहे हैं। तोरपा विधायक पौलुस सुरीन खूंटी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए पहले से ताल ठोंक रहे थे। सीट कांग्रेस के खाते में जाने के बाद उन्होंने इसका विरोध करते हुए चुनाव मैदान में हरहाल में आने की बात कही थी। उनका कहा था कि खूंटी की जनता उन्हें मैदान में देखना चहती है। वे जनभावनाओं का अनादर नहीं कर सकते। हालांकि, अंतत: उन्हें अपना इरादा बदलना पड़ा। कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा के नामांकन के समय पौलुस सुरीन की अनुपस्थिति महागठबंधन के लोगों को खल रही थी। क्योंकि इसका गलत संदेश जा रहा था। अब कांग्रेस प्रत्याशी दम-खम के साथ चुनाव मैदान में हैं। लेकिन पौलुस सुरीन के खुलकर सामने नहीं आने से गठबंधन की कमजोरियां सामने दिख रही हैं।