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ग्रामीणों के लिए चलता फिरता बैंक है एटीएम दीदी गायत्री

गायत्री देवी पंचायत के लोगों को घर बैठे बैंकों जैसी सुविधाएं पहुंचा रही हैं।

By Edited By: Published: Thu, 12 Jul 2018 11:09 PM (IST)Updated: Fri, 13 Jul 2018 04:03 PM (IST)
ग्रामीणों के लिए चलता फिरता बैंक है एटीएम दीदी गायत्री
ग्रामीणों के लिए चलता फिरता बैंक है एटीएम दीदी गायत्री

खूंटी। एटीएम दीदी, हां जयपुर पंचायत की गायत्री देवी को इलाके के लोग इसी नाम से जानते हैं। क्या युवा क्या बुजुर्ग, क्या महिलाएं। बेसहारों के लिए सहारा हैं तो सब के लिए मददगार। खूंटी जिले का रनिया प्रखंड घोर नक्सल प्रभावित इलाका है। इसी के अधीन है जयपुर पंचायत। प्रखंड मुख्यालय से कोई तीस-चालीस किलोमीटर दूर है। बैंक की कोई सुविधा नहीं है। बैंक का कोई काम हो तो तीस-चालीस किलोमीटर का सफर ग्रामीणों को तय करना पड़ता था। एटीएम दीदी के सक्रिय होने के बाद यह समस्या दूर हो गई। हाल के कुछ वर्षों से गायत्री देवी पंचायत के लोगों को घर बैठे बैंकों जैसी सुविधाएं पहुंचा रही हैं।

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आजीविका मिशन से जुड़ी गायत्री देवी बीसी यानी बैंक मित्र हैं, इसी कारण लोग इन्हें एटीएम दीदी के नाम से पुकारते हैं। बीते डेढ़ साल में गायत्री ने पांच सौ लोगों के नए बैंक खाते खुलवाए। इनके बीसी बनने से ग्रामीणों की बैंकिंग की बड़ी समस्या दूर हो गई है। अपने पॉस मशीन से दो करोड़ का ट्रांजेक्शन कर चुकी हैं। रनिया प्रखंड के इस इलाके में दस से बीस घरों के कई छोटे-छोटे गांव हैं। जिसे जरूरत पड़ती हैं गायत्री देवी हाजिर हैं। उनके काम में पति और पुत्र हाथ बटाते हैं। दूसरे गांव से लंबी दूरी तय करके भी लोग उनके पास आते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा, वृद्धावस्था पेंशन और छात्रवृत्ति समेत अन्य योजनाओं के लाभार्थी उनके पास पहुंचते हैं। अपनी जरूरत के हिसाब से पैसे निकालते हैं। जमा करने में भी मदद करती हैं।

जानें, क्या कहती हैं गायत्री देवी
गायत्री ने कहा कि 2015 में मैं जेएसएलपीएस (झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी) से जुड़ी। इसके बाद घर-घर जाकर महिला समूह बनाने का काम किया। मुझे अक्टूबर 2015 में झारखंड ग्रामीण बैंक का बीसी सखी बनाया गया। इसके बाद मैंने गांव-गांव जाकर लोगों का खाता खोलने का काम शुरू किया। उसके बाद मुझे पॉस मशीन मिली। मैंने लोगों को उनके घर पर रुपये देने का काम किया। अब लोगों को बैंकों के चक्कर नहीं काटना पड़ता है। यहीं नहीं जो बीमार लोग होते हैं, उन्हें दवा पहुंचाने का भी काम करती हूं। इस इलाके लोग मुझे एटीएम दीदी के नाम से जानते हैं।

जानें, क्या कहते हैं ग्रामीण
जयपुर पंचायत के ग्रामीण मंगल उरांव, सुनीता कच्छप, सुखवा मुंडा आदि ने कहा कि पहले रुपये निकालने के लिए काफी दूर पैदल चलकर बैंक जाना पड़ता था। बैंक में लंबी लाइन और दूसरे तरह की भी समस्याएं होती थीं। जबसे गायत्री देवी इस क्षेत्र में काम कर रही हैं, हमलोगों को बैंक काचक्कर नहीं लगाना पड़ रहा है। पासबुक भी यहीं अपडेट कर देती हैं।


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