एक माह में 13 की मौत, फिर भी नहीं लगा जांच शिविर
तोरपा प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तपकारा गांव। करीब छह हजार की आबादी वाले तपकारा के कई घरों में सर्दी खांसी बुखार आदि से पीड़ित लोग हैं। लोग इसे मौसम बदलते समय होने वाले सामान्य बीमारी मान रहे हैं। तपकरा में कोरोना महामारी से कहीं ज्यादा दहशत बीमारी के नाम को लेकर है।
तपकरा : तोरपा प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तपकारा गांव। करीब छह हजार की आबादी वाले तपकारा के कई घरों में सर्दी, खांसी, बुखार आदि से पीड़ित लोग हैं। लोग इसे मौसम बदलते समय होने वाले सामान्य बीमारी मान रहे हैं। तपकरा में कोरोना महामारी से कहीं ज्यादा दहशत बीमारी के नाम को लेकर है। ग्रामीणों में कोरोना महोमारी को लेकर दहशत तो है, लेकिन लापरवाही भी है। अधिकांश लोग घरों में ही कैद हैं, यह अच्छी बात है, लेकिन बाहर निकलने पर मास्क नहीं लगाना, सैनिटाइजर का प्रयोग नहीं करना, शारीरिक दूरी का अनुपालन नहीं करना लापरवाही ही तो है। लोग अपनी जांच कराने से कतरा रहे हैं। आम दिनों में लोगों से भरे रहने वाला तपकारा का मेन रोड शुक्रवार को सुबह करीब दस बजे वीरान था। सड़कों पर इक्के-दुक्के लोग ही मिल रहे थे। गांव में चारों ओर सन्नाटा था। घरों के अधिकतर दरवाजे बंद थे। ईद त्योहार के कारण कुछ घरों के अंदर उत्साह दिखाई दे रहा था। लेकिन, बाहर में कहीं भी जश्न का माहौल नहीं था। कुछ लोग खेत-खलिहान व बाजार से वापस घर लौटते दिखाई दिए। इनमें अधिकांश ने मास्क नहीं लगाया था। गांव की जामा मस्जिद के पास दो लोग लक्ष्मीकांत नारायण बड़ाईक व तैयब अंसारी मिले। दोनों से बातचीत के दौरान पता चला कि गांव में एक महीने के अंदर सर्दी-खांसी से पीड़ित, लकवा ग्रसित व वायरल बुखार से पीड़ित 13 लोगों की मौत हुई है। गांव के लोग सभी मौतों की अलग-अलग वजह बता रहे हैं। मस्जिद के बगल में ही ऐक मेडिकल की दुकान है। यहां एक भी ग्राहक नजर नहीं आया। कुछ ही दूरी पर किराने की दुकान है, जहां लोग शारीरिक दूरी बनाकर घर के लिए जरूरी सामान खरीद रहे थे। वहां पर जेवियर गुड़िया नामक युवक से पूछने पर बताया कि कोरोना महामारी तो फैली है, लेकिन अबतक गांव में एक भी व्यक्ति इस बीमारी से संक्रमित नहीं हेै। कई घरों में बीमार लोग हैं, लेकिन ग्रामीण उसे मलेरिया, टाइफाइड व सामान्य सर्दी जुकाम माना रहे हैं। बीमार होने पर भी लोग अपनी जांच से दूर भाग रहे हैं।
लोगों से बात करने के बाद गांव के मुखिया सुदीप गुड़िया से मिलने पहुंचे। मुखिया सुदीप गुड़िया की भी तबीयत ठीक नहीं है और वे होम आइसोलेट होकर आराम फरमा रहे हैं। उन्हें बदन दर्द व सर्दी-जुकाम की शिकायत है। उन्होंने बताया कि तपकारा में वायरल बुखार से कई लोगों की जान चली गई है, जो बहुत ही दुखद है। गांव में सरकारी चिकित्सा की समुचित सुविधा नहीं है। जिला प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग तपकारा में कोरोना जांच शिविर नहीं लगाया है। यहां चिकित्सक के साथ अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की घोर किल्लत है। तोरपा रेफरल अस्पताल के चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों को जिला मुख्यालय में प्रतिनियुक्त किया गया है। ऐसे में ग्रामीण इलाज के लिए जांच तो कराना हो तो कहां जाएं।
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आठ किलोमीटर दूर तोरपा में होती है कोरोना जांच
तपकरा के ग्रामीणों का कोरोना जांच नहीं कराने का एक कारण जांच केंद्र का सामने नहीं होना भी है। लोगों को कोरोना जांच कराने के लिए आठ किलोमीटर दूर तोरपा जाना होगा। तपकरा में कोरोना जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। आठ किलोमीठर दूर जाकर लाइन में लग कर कोरोना जांच कराने से लोग तौबा कर रहे हैं। वहीं सर्दी-बुखार से पीड़ित भी इलाज के लिए तोरपा नहीं जा रहे हैं। रेफरल अस्पताल तोरपा के कुल 13 चिकित्सकों में दो होम आइसोलेशन में है। इनमें अस्पताल के प्रभारी डा. नागेश्वर माझी स्वयं कोरोना संक्रमित हो गए हैं। वहीं, डा. अनुमति रानी पति के संक्रमित होने के बाद आइसोलेट हैं। इसके अलावा सात चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति अन्यत्र कर दी गई है। इनमें छह चिकित्सकों को खूंटी स्थित मातृ शिशु अस्पताल और एक चिकित्सक को रांची भेजा गया है। बाकि बचे चार चिकित्सक रोस्टर के मुताबिक अस्पताल आकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
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तपकरा में इनकी हुई है मृत्यु
एक माह के दौरान तपकरा में पदमोहन साव, बसंती देवी, फिलिप गुड़िया, सरोज बाला गुड़िया, पुनीत लकड़ा, जसुवा मुचू, सामुएल गुड़िया, सोभित कुमार, नामजन गुड़िया, प्रभूदयाल गुड़िया, ºस्टोपाल गुड़िया, विशेश्वर चौधरी व नुरुल होदा की मृत्यु हुई है।